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Airtel broadband कुछ घंटों तक रही बाधित, कंपनी ने आरोपों को नकारा

Updated Jun 07, 2020 | 15:14 IST

Airtel Broadband outage: एयरटेल के कुछ यूजर्स ने शिकायत की शनिवार को कुछ घंटों के लिए इंटरनेट नेटवर्क में आउटेज की दिक्कत थी। लेकिन एयरटेल ने इन आरोपों को नकारा है।

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एयरटेल का आरोप से इंकार
मुख्य बातें
  • शनिवार को कुछ घंटे तक एयरटेल की इंटरनेट और ब्राडबैंड सर्विस में आउटेज की शिकायत
  • यूजर्स ने सेवा देने वाली एयरटेल कंपनी पर निकाली भड़ास
  • एयरटेल कंपनी का दावा आउटेज जैसी कोई दिक्कत नहीं थी।

नई दिल्ली। शनिवार को एयरटेल ब्राडबैंड वे नेटवर्क के बारे में कुछ यूजर्स की शिकायत थी कि कुछ समय के लिए एयरटेल की इंटरनेट सेवा और ब्राडबैंड सर्विस बंद हो गई थी। इसके बारे में आउटेज डिटेक्शन पोर्टल डाउन डिटेक्टर से जानकारी मिली। एयरटेल का कहना है कि Downdetector.in से पता चलता है कि मई महीने में एयरटेल के ब्राडबैंड नेटवर्क में किसी तरह की आउटेज यानि दिक्कत नहीं थी।


यूजर्स ने की शिकायत
कुछ यूजर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टेलीग्राम पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि शनिवार को रात 11 बजे से सुबह 2 बजे तक नेटफ्लिक्स या दूसरे स्ट्रीमिंग सेवा का आनंद एयरटेल ब्राडबैंड वे की खामियों की वजह से नहीं उठा सके। एक यूजर का कहना है कि उसने इस संबंध में कस्टमर केयर पर बात की और ऑटोमेटेड वॉयस मैसेज के जरिए जानकारी मिली कि सेवाएं सात जून को सुबह तीन बजे तक बहाल हो जाएंगी।

एयरटेल थैंक्स ऐप
सबसे बड़ी बात यह थी कि ज्यादातर यूजर्स कस्टमर केयर पोर्टल या एयरटेल थैंक्स ऐप पर भी जवाब नहीं पा सके। एक दूसरे यूजर का कहना है कि एयरटेल थैंक्स एप में नेटवर्क आउटेज की दिक्कत के बारे में जानकारी थी। एप पर बताया गया था कि नेटवर्त आउटेज की वजह से असुविधा के लिए खेद है। हालांकि ब्राडबैंड की सर्विस शनिवार रात में 2 बजे के बाद बहाल हो गई थी। 

मुश्किल दौर में टेलीकॉम कंपनी
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइर के बारे में जानकार कहते हैं कि वोडाफोन आइडिया की स्थिति विशेष तौर पर कमजोर हुई है।उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बचे रह जाने का जोखिम पहले की तुलना में सबसे अधिक हो गया है।अभी दूरसंचार क्षेत्र में सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के अलावा तीन निजी कंपनियां भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जिओ हैं।उप्पल ने कहा कि कंपनियों के पास किसी उपाय की कम ही गुंजाइश बची है, लेकिन यदि सरकार इसे दीर्घकालिक समस्या माने तो वह नीति में बदलाव पर विचार कर सकती है।