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क्या NASA को मंगल ग्रह पर मिल गया है एक रहस्यमयी दरवाजा?

Updated May 25, 2022 | 21:01 IST

पिछले दस वर्षों से, नासा का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल की सतह के चारों ओर चक्कर लगा रहा है, लाल ग्रह के इतिहास और भूविज्ञान को समझने की अपनी खोज में तस्वीरें ले रहा है और शायद जीवन के संकेत भी ढूंढ रहा है।

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Photo Credit- iStock

पिछले दस वर्षों से, नासा का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल की सतह के चारों ओर चक्कर लगा रहा है, लाल ग्रह के इतिहास और भूविज्ञान को समझने की अपनी खोज में तस्वीरें ले रहा है और शायद जीवन के संकेत भी ढूंढ रहा है।

पिछले हफ्ते इसने एक तस्वीर ली जो चट्टान में उकेरे गए एक द्वार को दिखाती है। यह उस तरह की चीज है जो पृथ्वी पर एक भूमिगत बंकर का संकेत दे सकती है, जैसे कि हवाई हमले से बचने के लिए बनाए जाने वाले आश्रयस्थल।

देखने का मतलब हमेशा उसपर विश्वास करना नहीं होता

पहली नजर में यह तस्वीर पूरी तरह से यकीन के काबिल लगती है। दूसरी नजर में, शायद नहीं। ऐसा लगता है कि यह रास्ता कुछ ही दूर जाता है, और फिर झुकती हुई छत फर्श से मिल जाती है।

और फिर नासा हमें बताता है कि इसकी ऊंचाई केवल 45 सेंटीमीटर हैं। अगर ऐसा हो भी, यह किसने कहा कि मंगल ग्रह पर रहने वालो की ऊंचाई हमारे जैसी होनी चाहिए? लेकिन फिर भूवैज्ञानिक बताते हैं कि यह जगह वैसी नहीं है, जैसी पहली नजर में सोची गई थी और जिसे ‘‘द्वार’’ कहा गया है, यह वह जगह है जहां किसी चीज के दो हिस्से जुड़ते हैं।

सच्चाई जानकर दुख हुआ, लेकिन सोचिए, यह कितना रोमांचक होता अगर यह एक वास्तविक द्वार होता। इसके बजाय यह मंगल ग्रह पर चेहरे, मंगल ग्रह पर चम्मच, चंद्रमा पर क्यूब, और अंतरिक्ष से तस्वीरों में दिखाई देने वाली अन्य सभी चीजों की तरह ही उतना रोमांचक नहीं था, जैसा हमने सोचा था।

बादलों में चेहरे

इससे भी बुरी बात यह है कि यह ‘‘द्वार’’ भी उस लंबी सूची में शामिल हो गया, जिन्हें पहले देखने का दावा किया गया था, जैसे ऑस्ट्रेलिया की तरह दिखने वाले कॉर्नफ्लेक, बिल्लियाँ जो हिटलर की तरह दिखती हैं, और इसी तरह की और चीजें। और बादलों में चेहरा किसने नहीं देखा?

दुखद तथ्य यह है कि जब एक अस्पष्ट या अपरिचित छवि प्रस्तुत की जाती है, तो मनुष्य इसे एक परिचित दिखने वाली वस्तु में बदलने की कोशिश करता है। वैज्ञानिक ऐसा करने की हमारी प्रवृत्ति को ‘‘पेरिडोलिया’’ कहते हैं।

ऐसा क्यों होता है यह समझना आसान है। हमने इस प्रवृत्ति को विकसित किया है क्योंकि कम रौशनी में भी अस्पष्ट रूप से दिखने वाले हमलावरों या चेहरों को देखने से हमें फायदा होता है। इससे एक और झूठी सकारात्मकता प्राप्त होती है - एक हमलावर को देखना जहाँ कोई नहीं है - एक हमलावर को न देखने से बेहतर है जो फिर आपको नुकसान पहुंचा सकता है।

जीवन का कोई संकेत नहीं

वाजिब तर्क देने के बावजूद साजिशी सिद्धांतवादी यह कहने से बाज नहीं आएंगे कि यह खोजा गया द्वार दरअसल मंगल ग्रह पर जीवन का सबूत है, और यह सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक किसी चीज को छिपाने में लगे हुए हैं।

अगर मैं छिपाने की कोशिश कर रहा होता, तो मैं तस्वीरें जारी नहीं करता! इसलिए किसी साजिश की संभावना नहीं दिखती। लेकिन एलियन जीवन के गंभीर खोजकर्ताओं के लिए यहां एक सबक भी है। जैसा कि खगोलशास्त्री कार्ल सागन ने कहा था, असाधारण दावों के लिए असाधारण साक्ष्य की आवश्यकता होती है।

इस कहावत का अनुसरण करते हुए, अलौकिक जीवन के प्रमाण की तलाश करने वाले वैज्ञानिक, भूगर्भीय तलाश करने वाले किसी व्यक्ति की तुलना में अधिक मजबूत सबूत की मांग करते हैं। और दशकों तक मंगल ग्रह पर जीवन के प्रमाण खोजने के बावजूद हमें कुछ नहीं मिला।

यह अभी भी संभव है कि मंगल पर कभी जीवन रहा हो। हमें अभी भी प्राचीन कोशिकीय जीवन के कुछ जीवाश्म अवशेष मिल सकते हैं। लेकिन अचानक एक द्वार, या एक चम्मच जैसी कोई कलाकृति मिलना असंभव लगता है।

समस्या यह है कि अगर कोई मुझे एक उड़न तश्तरी दिखाने के लिए एक फोटो दिखाता है, तो मुझे पता है कि संभावनाएं इसके नकली होने के पक्ष में अधिक हैं, और इसलिए इसे ध्यान से जांचने में अपना समय बर्बाद करने के बजाय इसे खारिज करने की संभावना अधिक है। लेकिन मान लीजिए मैं गलत हूं? इसी तरह, जब हम मंगल ग्रह पर एक द्वार, या एक चेहरा, या एक चम्मच देखते हैं, तो इसे सिरे से खारिज करना बहुत आसान है। लेकिन हमें इस संभावना के प्रति सतर्क रहना चाहिए कि एक दिन हमें मंगल पर जीवन के साक्ष्य मिल सकते हैं।

बेशक, यह बहुत ही असंभव लगता है। पर नामुमकिन 'नहीं। यह एक भयानक नुकसान होगा यदि, डेटा के माध्यम से हमारी सभी सावधानीपूर्वक खोज के बीच, हम उस चीज़ से चूक गए जिसे हम खोज रहे थे।

रे नॉरिस, पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय,
द कन्वरसेशन।