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Inverter AC क्या होता है? कैसे काम करता है? Non-Inverter से कितना अलग होता है?

Updated Apr 06, 2022 | 16:43 IST

भारत के ज्यादातर हिस्सों में इस वक्त गर्मी पड़ रही है। ऐसे में बहुत सारे लोग नया AC खरीदने के बारे में भी सोच रहे होंगे। जब आप AC खरीदने जाएंगे तो आपको Inverter AC के भी ऑप्शन्स दिखाई देंगे। इस बीच आइए आज हम आपको बताते हैं कि AC में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी क्या है?

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Photo Credit- iStock
मुख्य बातें
  • किसी भी AC में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक वोल्टेज, करेंट और फ्रिक्वेंसी के लिए कंट्रोलर के तौर पर काम करती है
  • नॉन-इन्वर्टर एसी में केवल तापमान को एडजस्ट करने के लिए कंप्रेसर को ऑन या ऑफ करने का ऑप्शन होता है
  • नॉन-इन्वर्टर AC की तुलना में इन्वर्टर AC होने का बड़ा फायदा ये भी होता है कि ये टेम्परेचर को कॉन्सटेंट रखता है

भारत के ज्यादातर हिस्सों में इस वक्त गर्मी पड़ रही है। ऐसे में बहुत सारे लोग नया AC खरीदने के बारे में भी सोच रहे होंगे। जब आप AC खरीदने जाएंगे तो आपको Inverter AC के भी ऑप्शन्स दिखाई देंगे। इस बीच आइए आज हम आपको बताते हैं कि AC में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी क्या है? 

AC में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी क्या है? 

किसी भी AC में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक वोल्टेज, करेंट और फ्रिक्वेंसी के लिए कंट्रोलर के तौर पर काम करती है। ये इन्वर्टर एसी को कंप्रेसर में बिजली की आपूर्ति में हेरफेर करके कूलिंग या हीटिंग को नियंत्रित करने की अनुमति देती है। साथ ही ये इन्वर्टर एसी को कूलिंग इफेक्ट पर सटीक नियंत्रण रखने की अनुमति देती है।

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नॉन-इन्वर्टर AC क्या होता है? 

नॉन-इन्वर्टर एसी में केवल तापमान को एडजस्ट करने के लिए कंप्रेसर को ऑन या ऑफ करने का ऑप्शन होता है। ऐसे AC खास तौर पर फिक्स्ड कूलिंग कैपेसिटी के साथ आते हैं। यानी ये सराउंडिंग टेम्परेचर के हिसाब से कंप्रेसर को स्टार्ट या स्टॉप करते हैं। 

नॉन-इन्वर्टर AC और इन्वर्टर AC में क्या है मुख्य अंतर?

इनके बीच बड़ा अंतर ये है कि ये कूलिंग और हीटिंग को मैनेज करने के लिए एसी के कंप्रेसर को कैसे ऑपरेट और हैंडल करते हैं। इन्वर्टर AC के पास ऑप्शन होता है कि वो अपने ऑपरेटिंग कैपेसिटी को मैनिपुलेट कर सकें। हालांकि, नॉन-इन्वर्टर AC केवल फिक्स्ड कैपेसिटी पर ही फंक्शन करते हैं।  

इन्वर्टर AC तापमान में उतार-चढ़ाव से बचा सकते हैं

नॉन-इन्वर्टर AC की तुलना में इन्वर्टर AC होने का बड़ा फायदा ये भी होता है कि ये टेम्परेचर को कॉन्सटेंट रखता है। वहीं, नॉन-इन्वर्टर AC में टेम्परेचर में बदलाव हो सकता है। उदाहरण के तौर पर बात करें तो अगर आपने AC को 24 डिग्री पर सेट किया है तो AC इसे ऑपरेट करने के दौरान हमेशा मेनटेन करेगा। जबकि, नॉन-इन्वर्टर AC इसे एक या दो डिग्री घटा-बढ़ा सकता है। 

इन्वर्टर AC पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं

मॉडर्न इन्वर्टर ACs R32 रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल करते हैं। जो ना केवल बेहतर कूलिंग कैपेसिटी ऑफर करते हैं। बल्कि कम खतरनाम एमिशन रिलीज करते हैं। 

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इन्वर्टर AC महंगे होते हैं, लेकिन एनर्जी एफिशिएंट भी होते हैं 

नॉन-इन्वर्टर AC की तुलना में इन्वर्टर AC महंगे होते हैं। लेकिन, लंबी अवधि में इनका ऑपरेशन कॉस्ट बहुत हद तक कम होता है। क्योंकि, ये जरूरत के हिसाब से हाई और लो दोनों ही कैपेसिटी में ऑपरेट करते हैं। नॉन-इन्वर्टर AC जरूरत पड़ने पर केवल कंप्रेसर को ऑन या ऑफ करता है। लेकिन, कंप्रेसर ऑफ होने से बचने वाली इलेक्ट्रिसिटी की तुलना में इसे ऑन करने में ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूम हो सकती है। 

इन्वर्टर AC की मेंटेनेंस चार्ज ज्यादा

ट्रेडिशनल AC की तुलना में इन्वर्टर AC के कई फायदे हैं। लेकिन, इसे मेनटेन करने की लागत ज्यादा हो सकती है।