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Explainer: जानें क्या है Clickjacking और लोगों को फंसाने के लिए हैकर्स इसका कैसे करते हैं इस्तेमाल?

Updated Apr 05, 2022 | 17:30 IST

Clickjacking दरअसल एक तरीके का साइबर अटैक है। इसमें किसी शख्स को ऐसे वेबपेज एलिमेंट पर क्लिक करने के लिए फंसाया जाता है। जो दरअसल वो नहीं होता जो दिखाई दे रहा होता है। बल्कि, ये पूरी तरह से दूसरा HTML एलिमेंट होता है। ऐसे में शख्स वास्तविक खतरे से अनजान होता है और इस पर क्लिक कर बैठता है।

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Photo Credit- iStock
मुख्य बातें
  • Clickjacking दरअसल एक तरीके का साइबर अटैक है
  • साइबर वर्ल्ड में कई तरह के Clickjacking होते हैं
  • ये मैलवेयर निजी एवं गोपनीय जानकारियों को चुराने में सक्षम होता है

Clickjacking दरअसल एक तरीके का साइबर अटैक है। इसमें किसी शख्स को ऐसे वेबपेज एलिमेंट पर क्लिक करने के लिए फंसाया जाता है। जो दरअसल वो नहीं होता जो दिखाई दे रहा होता है। बल्कि, ये पूरी तरह से दूसरा HTML एलिमेंट होता है। ऐसे में शख्स वास्तविक खतरे से अनजान होता है और इस पर क्लिक कर बैठता है। क्लिक करते ही खतरनाक वायरस या मैलवेयर स्मार्टफोन या पीसी में एंटर कर जाता है। ये मैलवेयर निजी एवं गोपनीय जानकारियों को चुराने में सक्षम होता है। 

Clickjacking कितनी तरह के होते हैं? 

साइबर वर्ल्ड में कई तरह के Clickjacking होते हैं। उन्हें उनके खुद के नाम से जाना जाता है। इन्ही में से एक Likejacking है। ये Facebook लाइक बटन की तरह दिखता है। इसमें फेसबुक यूजर्स किसी और पेज को सोचकर लाइक बटन दबाते हैं। लेकिन, ये लाइक बटन निकलता किसी और पेज का है। इसी तरह ट्विटर पेज के साथ भी होता है। लोग इस साइबर फ्रॉड के झांसे में आकर लोग किसी खतरनाक वेब लिंक का लोकेशन री-ट्वीट कर बैठते हैं। इससे ये खतरनाक लिंक ज्यादा लोगों के पास पहुंच जाता है। 

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Clickjacking का एक इसी तरह का और टाइप Cursorjacking है। ये भी सेम तरीके से काम करता है। इसमें केवल कर्सर का पोजिशन वहां नहीं होता है, जहां आप इसे देख रहे होते हैं। 

हैकर्स इस Trick का इस्तेमाल कैसे करते हैं? 

साइबर अपराधी इस ट्रिक का इस्तेमाल कैसे लोगों को फंसाने के लिए करते हैं। इसे हम आपको एक उदाहरण के जरिए समझाते हैं। हैकर्स पहले एक पेज क्रिएट करते हैं जो टारगेट को अट्रैक्ट करने के लिए काफी हो। इसमें फ्री गिफ्ट या फ्री iPhone जैसा कोई बैनर या पोस्टर हो सकता है। इसमें क्लिकेबल ऑन-स्क्रीन बटन के साथ दूसरे पेज के साथ एक दिखाई ना देने वाला iframe होगा। ये क्लिकेबल बटन फंड ट्रांसफर करने या किसी फंक्शन को इनेबल करने जैसे कामों के लिए होता है। 

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फिर यहां किसी परमिशन इनेबल बटन के ऊपर फ्री गिफ्ट बटन हो सकता है। इसके बाद जैसे ही कोई शख्स फ्री बटन पर क्लिक करता है, वो किसी और ही फंक्शन को इनेबल कर लेता है। पहले हैकर्स इस तरीके का इस्तेमला लोगों के माइक्रोफोन और कैमरा को कंट्रोल करने जैसे कामों के लिए कर चुके हैं।