लाइव टीवी

Monkey Food: लॉकडाउन में भूख से बेहाल हुए बंदरों को खाना खिला रही गोरखपुर की ऐश्वर्या

monkey
Updated Jun 03, 2020 | 21:23 IST

Monkey at Budhiya Mai Mandir Gorakhpur: लॉकडाउन में मंदिर भी बंद हैं ऐसे ही गोरखपुर स्थित बुढ़िया माई के मंदिर पर भूखे बंदरों को वहीं की एक लड़की खाना खिला रही है।

Loading ...
monkeymonkey
अब तो बंदरों की ऐश्वर्या से दोस्ती हो गयी है और बंदरों को उनकी प्रतीक्षा रहती है (प्रतीकात्मक फोटो)
मुख्य बातें
  • देश के सभी मंदिर कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन के चलते बंद है
  • गोरखपुर के बुढ़िया माई के मंदिर पर तमाम बंदर भूख से बेहाल हैं
  • गोरखपुर की एक लड़की ऐश्वर्या इन भूखे बंदरों को रोज खाना खिलाने का काम कर रही है

गोरखपुर: गोरखपुर के पूर्वी छोर पर कुसम्ही जंगल है, गोरखपुर से कुशीनगर जाने वाली सड़क पर मुख्य शहर से 5-6 किमी की दूरी पर घने जंगलों से करीब पौन किलोमीटर दूर बुढ़िया माई का मंदिर है। इस मंदिर की स्थानीय स्तर पर बड़ी मान्यता है। हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां माता के दर्शन के लिए जाते हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पक्की सड़क बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ गयी। 

लेकिन रास्ते में पड़ने वाले जंगलों में बड़ी संख्या में बंदरों का बसेरा है। श्रद्धालुओं का चढ़ावा ही उनके भोजन का मुख्य जरिया है। लॉकडाउन में सभी मंदिरों के साथ बुढ़िया माई मंदिर के भी कपाट बंद हो गये तो बंदर भूख से बेहाल होने लगे। ऐसे में कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी ऐश्वर्या पांडेय बंदरों की मददगार बनीं। 

वह तकरीबन रोज ही खासी मात्रा में फल, बिस्किट, चना-लइया और मूंगफली आदि लेकर कुसुम्ही जंगल जाती हैं और बंदरों को खिलाती हैं,अब तो बंदरों से उनकी दोस्ती हो गयी है। बंदरों को उनकी प्रतीक्षा रहती है। 

ऐश्वर्या के पहुंचने पर कोई उनका पल्लू पकड़ता है कोई हाथ

वो प्यार से सबको खिलाती हैं बकौल ऐश्वर्या समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करने में मुझे खुशी होती है। अक्सर मैं ऐसा करती हूं। लॉकडाउन में लगा कि लोगों के लिए तो सरकार सहित बहुत लोग काम कर रहे हैं, क्यों न इन बेजुबानों के लिए कुछ किया जाये। तब से ही यहां आना शुरु किया। अब तो यहां के बंदर मेरी गाड़ी की आहट तक पहचानते हैं।

गोरखपुर निवासी ऐश्वर्या पांडे ने बताया, यहां काले और लाल दोनों समूह के करीब 250 बंदर है। इनका पेट भरने के लिए उन्होंने एक ग्रुप तैयार किया है। इसमें महिलाएं और पुरूष दोंनों है, जब कभी मैं नहीं जा पाती हूं तो यह लोग इन बेजुबानों का पेट भरने में मदद करते हैं। हम कुशीनगर के अनाथ आश्रम में भी सेवा कार्य के लिए जाते हैं।