- दिल्ली के एक किसान ने अपनी 10 लेबर्स को दिल्ली से बिहार फ्लाइट से भेजकर अनूठी मिसाल पेश की
- उन्होंने सभी 10 लेबर्स के लिए फ्लाइट के टिकट अपने खर्च पर बुक करवाए
- फ्लाइट के टिकट के साथ ही 3000 रुपये का इनाम भी इन लेबर्स को दिया
नई दिल्ली: दिल्ली के तिगीपुर गांव के किसान पप्पन सिंह मशरूम की खेती करते हैं और इनके यहां पिछले कई सालों बिहार से कुछ मजदूर काम करने के लिए आते हैं और सीजन के बाद वापस चले जाते हैं, मगर इस बार लॉकडाउन के चलते यहां फंस गए।ऐसे में पप्पन सिंह ने आगे आकर कुछ ऐसा काम किया कि बड़े बड़े पैसे वाले भी मुंह छिपा लें।
जी हां उन्होंने सभी 10 लेबर्स के लिए फ्लाइट के टिकट अपने खर्च पर बुक करवाए हैं उनकी फ्लाइट दिल्ली से बिहार के लिए 28 मई को थी जिससे वो अपने घर पहुंच गए हैं।
लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर किसी भी कीमत पर घर वापसी कर रहे हैं और उनकी दर्दनाक दास्तान रोज ही सामने आ रही है, वहीं दिल्ली से इस सबके बीच एक सुखद तस्वीर सामने आई है, जहां अधिकांश मालिक मजदूरों को उन्हीं के हाल पर छोड़ रहे हैं वहीं दिल्ली के एक किसान ने अपनी 10 लेबर्स को दिल्ली से बिहार फ्लाइट से भेजकर अनूठी मिसाल पेश की है।
ना सिर्फ फ्लाइट का टिकट कराया बल्कि 3000 रुपये का इनाम भी दिया
अपने बेटे के साथ लौट रहे एक मजदूर ने बताया, 'मैंने जिदंगी में कभी नहीं सोचा था कि एक दिन हवाई जहाज में सफर करूंगा। मेरे पास अपनी खुशी बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं। लेकिन मुझे थोड़ी घबराहट भी है कि कल हवाईअड्डे पर पहुंचने पर हमें क्या करना होगा।' उन्होंने जब पत्नी को बताया कि वह विमान से घर लौटेंगे तो वह सहसा विश्वास नहीं कर पायीं। उनका बेटा पप्पन के खेतों में आठ साल से काम कर रहा है जबकि 50 वर्षीय लखिंदर खुद 27 साल से उनके साथ काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 25 मार्च को लॉकडाउन के बाद से उनके नियोक्ता ने उनके रहने, खाने का पूरा ध्यान रखा। पप्पन ने बताया कि उन्होंने 68,000 रूपये के टिकट बुक किए और सभी को तीन-तीन हजार रूपये नकद दिए ताकि घर पहुंचने में उन्हें किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
पप्पन ने बताया, 'ये सभी 10 कर्मचारी बिहार के लिए ट्रेन से अप्रैल के पहले ही हफ्ते में निकल लिए होते लेकिन लॉकडाउन के कारण वे नहीं जा पाए।' उन्होंने बताया कि श्रमिक विशेष ट्रेनों से उन्हें घर भेजने में जब वह सफल नहीं हुए तब यह फैसला लिया। उन्होंने कहा, 'मैं उन्हें हजारों मील पैदल भेजने का जोखिम नहीं ले सकता था । इससे उनका जीवन खतरे में पड़ सकता था।'