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'सम्मान से जीना ही है मानव का अधिकार', Human Rights Day पर पढ़‍िये एक शानदार कविता

Updated Dec 10, 2021 | 09:25 IST

आज अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार दिवस है। यह उस दुनिया के पुनर्निर्माण में मानवाधिकारों के महत्व की पुष्टि का एक अवसर है, जिसमें हम रहना चाहते हैं। इस बार मानवाधिकार दिवस का थीम असमानताओं को कम करना और मानव अधिकारों को आगे बढ़ाना रखा गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
'सम्मान से जीना ही है मानव का अधिकार', Human Rights Day पर पढ़‍िये एक शानदार कविता

Human Rights day 2021 : दुनियाभर में आज (10 दिसंबर) मानव अधिकार दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस वर्ष 1948 से हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में इसी दिन मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाया था, जो उन अधिकारों की घोषणा करता है जिसका एक इंसान के रूप में हर कोई हकदार है और इसमें जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीति, देश, मूल और जन्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। हालांकि दुनिया में बड़ी संख्‍या में लोग हैं, जो एक इंसान होने के नाते मिलने वाले अधिकारों से वंचित हैं। मानवाधिकार दिवस पर पढ़िये इसी को दर्शाती एक कविता : 

'सम्मान से जीना ही है- मानव का अधिकार'

'क्या है मानव के पास, 
जो है उसका अधिकार,
खाना, छत और रोजगार 
या आजादी से जीना 
नहीं ये सब तो उसकी जरूरतें हैं
अधिकार तो केवल एक है- 
वो है सम्मान से जीना
और उस सम्मान में शामिल है 
बहुत कुछ,
रोटी नहीं, सम्मान के साथ रोटी,
केवल एक अदद छत नहीं,
बल्कि उस छत के साथ 
सुरक्षा और उन्नति की सम्भावनाएँ भी,
रोजगार ही नहीं,
कार्यस्थल पर सम्मान के साथ
कार्य का पुरस्कार
केवल जीवन यापन भर को,
कमा लेना ये जीवन नहीं,
जिस जीवन में सम्मान नहीं,
प्रगति के अवसर नहीं.
प्रयासों की सराहना नहीं,
परस्पर सहयोग नहीं,
उत्तरदायित्व का बोध नहीं ,
त्याग, सहयोग व प्रेम नहीं, 
वह जीवन निरर्थक है,
मानव का अधिकार है 
पूर्ण आत्म- सम्मान के साथ जीना
मानव होने के गौरव के साथ
सिर्फ अधिकारों का ही नहीं,
कर्त्तव्यों का भी हो चिन्तन ,
तभी बनेगी बात,
अधिकार के साथ
उत्तरदायित्व भी जुड़े हैं ,
इसलिए जब भी बात हो, 
मानव के अधिकार की तो,
उसके उत्तरदायित्व भी तय हों,
और जब कर्त्तव्य किए जाएँ निर्धारित,
तो उसके अधिकारों व सम्मान का भी हो,
पूरा ख्याल,
वरना अधूरा ही रह जाएगा 
मानव का विकास,
और उभर आयेंगी अनेक विसंगतियाँ
आज हर कोई बात करता है 
अधिकारों की, 
लेकिन हर कोई बचना चाहता है,
अपने उत्तरदायित्व से,
मनुर्भव की संकल्पना 
होगी तभी साकार
जब हो उचित समन्वय
अधिकार व उत्तरदायित्व का,
वरना अनन्त चाहना,
छीन लेगी मानव की खुशियों को,
आईये मानवाधिकार के साथ,
मानव के कर्त्तव्यों को जोड़कर,
बनाएँ एक सम्पूर्ण मानव 
और खुशियों से भरा सुन्दर संसार।

डॉ. श्याम 'अनन्त'

(लेखक उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर नोएडा में कार्यरत हैं)