- एक शख्स के साथ ऑनलाइन शॉपिंग का ऐसा अनुभव रहा कि वो इसे ताउम्र याद रखेगा
- शख्स ने ऑनलाइन साइट से कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र मंगाया, मिली भगवद् गीता
- इसी सप्ताह की शुरूआत में एक और ऐसा ही मामला आया था सामने
नई दिल्ली: ई-कॉमर्स साइटों ने लोगों जीवन जीने की शैली में काफी बदलवा कर दिया है। लोगों को ऑनलाइन साइटों पर न केवल विभिन्न प्रकार के विकल्प मिलते हैं बल्कि उसे भुगतान करने के आसान तरीके भी मिलते हैं। लेकिन कई बार कंपनियों की तरफ से ऐसी कमियां भी रह जाती हैं जिससे ग्राहकों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां ऑर्डर करने वाला शख्स खुद भी हैरान है और ऐसा लग रहा है कि शख्स के साथ किसी ने मजाक कर दिया है।
ऑर्डर किया कुछ और मिला कुछ और
कोलकाता के रहने वाले शख्स ने अमेजन से कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र (मेनिफेस्टो) ऑर्डर किया लेकिन जब उसके पास ऑर्डर पहुंचा तो यह कम्युनिस्ट घोषणापत्र के बजाय भगवद् गीता का एक संक्षिप्त संस्करण था। सुतीर्थ दास ने बुधवार अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि अमेजन से उन्होंने कम्युनिस्ट घोषणापत्र ऑर्डर किया था लेकिन शनिवार को दास के निवास स्थान पर जो पहुंचा उससे दास भी हैरान थे। लेकिन उस समय वह घर पर नहीं थे इसलिए घर पर किसी और ने इसे रिसीव किया।
अमेजन ने स्वीकार की गलती
हालांकि इसके बाद दास को अमेजन की तरफ से एक महिला कॉल कर बताया कि उन्हें गलत पुस्तक पहुंच गई है लेकिन दास ने अपना ऑर्डर कैंसिल नहीं किया। जब वे घर लौटे और पैकेज खोला, तो उन्हें कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो के बजाय भगवद गीता की एक संक्षिप्त प्रति मिली। हालांकि, ऑर्डर में बिल भी था। उन्होंने पुस्तक की तस्वीरों को पूरे विवरण के साथ फेसबुक पर साझा किया।
इसी हफ्ते आया था एक और ऐसा मामला
कुछ दिन पहले इसी तरह का एक मामला सामने आया था। गौतम रेगे नाम के एक शख्स ने अमेजन से शॉपिंग का अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया है। जोश सॉफ्टवेयर के सह-संस्थापक और निदेशक गौतम रेगे ने अमेजन से 300 रुपये का स्किन लोशन ऑर्डर किया, लेकिन उनको उसकी जगह 19 हजार रुपये के बोस के हेडफोन्स आ गए। जब उन्होंने पैकेज वापस करने के लिए अमेजन की ग्राहक सेवा लाइन पर संपर्क किया, तो उन्हें प्रीमियम हेडफ़ोन रखने के लिए कहा गया क्योंकि आइटम "नॉन-रिटर्नेबल" है।