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94 साल के उर्दू कवि देहलवी ने दी कोरोना को मात, DM ने कहा- आप प्रेरणा हैं

Updated Jun 10, 2020 | 13:52 IST

Urdu poet Anand Mohan Dehlvi: 94 साल के उर्दू कवि आनंद मोहन जुत्शी गुलजार देहलवी ने कोरोना को मात दे दी है और वो घर भी वापस आ गए हैं।

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94 साल के उर्दू कवि आनंद मोहन जुत्शी गुलजार देहलवी
मुख्य बातें
  • 7 दिन में अस्पताल से घर आ गए आनंद मोहन जुत्शी गुलजार देहलवी
  • देहलवी को अभी घर में 7 दिनों के लिए आइसोलेट किया गया है
  • देहलवी को अभी कमजोरी महसूस हो रही है और वो बोल नहीं पा रहे हैं

नोएडा: वयोवृद्ध उर्दू कवि आनंद मोहन जुत्शी गुलजार देहलवी ने 94 साल की उम्र में कोरोना को मात दी है। गौतमबुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट सुहास एल वाई ने भी ट्वीट कर उनको प्रेरणा देने वाला बताया है। नोएडा डीएम ने 7 जून को ट्वीट कर कहा, '94 साल के निवासी कोविड नेगेटिव हो गए हैं और आज उन्हें छुट्टी दे दी गई। वह मेरे जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं। महोदय, आप हमें और भी कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करते हैं, हम सभी आपके बहुत लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।'

'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक देहलवी 28 मई की रात बीमार पड़ते हैं। इसके बाद उन्हें कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां 2 दिन बाद वो कोरोना पॉजिटिव निकले। इसके बाद उन्हें ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में कोविड-19 आईसीयू में कुछ दिन रखा गया। अब वो ठीक होकर घर वापस आ गए हैं। 

'घर लौटकर खुश हैं देहलवी'

उनकी पत्नी कविता ने बताया, '28 मई की रात उनको 103 डिग्री बुमार था और कंपकंपी थी। मैंने उन्हें दवा दी, और वह बेहतर थे। अगले दिन वो बिस्तर से नहीं उठ सके, फिर बेटा उन्हें कैलाश अस्पताल लेकर गया। 31 मई को उनको कोरोना निकला और उन्हें शारदा अस्पताल भेज दिया गया। अब वह घर वापस आ गए हैं, और वो सात दिनों के लिए आइसोलेशन में हैं। वह कमजोर हैं और अभी बहुत कुछ बोलने में असमर्थ हैं। वह बहुत खुश हैं।' 

डॉक्टर्स को लंच पर बुलाया

शारदा अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. अभिषेक देशवाल ने कहा कि देहलवी के ठीक होने से अस्पताल के कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा है। जाने से पहले उन्होंने हम सभी को आशीर्वाद दिया और जब वो ठीक हो जाएंगे तब एक दिन दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया है।

कश्मीरी पंडित देहलवी सरकार द्वारा उर्दू में प्रकाशित होने वाली एकमात्र पत्रिका 'साइंस की दुनिया' के संपादक थे। इसे 1975 में लॉन्च किया गया था। उन्हें पूरे भारत में उर्दू स्कूलों की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है।