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Sindhutai Sapkal: 10 दिन की बच्ची को लेकर श्मशान में रही थीं सिंधुताई सपकाल, ऐसे थी उनके संघर्ष की कहानी

Updated Jan 05, 2022 | 22:34 IST

Sindhutai Sapkal Story in Hindi: पद्मश्री से सम्मानित सिंधुताई सपकाल की कहानी बेहद भावुक कर देने वाली है। हालांकि इससे प्रेरणा भी काफी मिलती है। 4 जनवरी को उनका निधन हो गया।

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सिंधुताई सपकाल (फाइल फोटो)

Sindhutai Sapkal Story in Hindi: मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का निधन हो गया है। वो 'अनाथ बच्चों की मां' के तौर पर जानी जाती थीं। दिल का दौरा पड़ने से सिंधुताई सपकाल का 4 जनवरी को पुणे के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित होने वाली सपकाल 75 वर्ष की थीं।

सिंधुताई की कहानी से पता चलता है कि अपनी मुश्किलों से ही किस तरह सफलता का रास्ता निकाला जा सकता है। 4 साल पहले उन्होंने अपनी कहानी बताते हुए कहा था कि वो काफी गरीब परिवार में पैदा हुईं, खाने तक को नहीं मिलता था। वो भैंसों को चराने जाती थीं। 10 साल की उम्र में उनकी 35 साल के व्यक्ति से हुई थी। जब वो गर्भवती थीं तब उनके पति ने उनको मारा था। उन्होंने बताया कि उनकी हालत ऐसी थी कि वो मरना चाहती थीं। 

उन्होंने रेल में भी भीख मांगी। वो 10 दिन की बच्ची को लेकर श्मशान जाती थीं। उन्होंने जले हुए मुर्दे के ऊपर फेंके हुए आटे से रोटी बनाकर खाई। उन्होंने कहा कि ऐसे ही चलते-चलते मैं उनकी मां बन गई जिनका कोई नहीं था। गाना गाती थी, उससे खाना-पैसे मिलते थे। उन्होंने अनाथ बच्चों को पालना शुरू कर दिया। उन्होंने 40 वर्षों में एक हजार से अधिक अनाथ बच्चों को गोद लिया और उनकी देखभाल की। 

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पद्म पुरस्कार के अलावा सपकाल को 750 से अधिक पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया था। वह पुरस्कार से प्राप्त राशि का उपयोग अनाथालय बनाने में करती थीं।