- देश 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है
- भारत को आजादी 14 अगस्त की आधी रात को मिली थी
- आजादी का जश्न हालांकि देश में 15 अगस्त को मनाया जाता है
नई दिल्ली : देश हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है। इस बार देश ऐसे समय में स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, जबकि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। इस दिन प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से राष्ट्रध्वज फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं तो कई अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण स्वतंत्रता दिवस समारोह कुछ बदला-बदला सा होगा।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस बार लाल किले पर लोगों की भीड़ नजर नहीं आएगी। अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं हो पाएगा। लेकिन आजादी को लेकर जोश देश के नागरिकों में उसी तरह बरकरार है, जैसा कि पहले था। यह खास दिन हमें 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से मिली आजादी की याद दिलाता है, जिसके बाद ही भारत को एक स्वतंत्र व संप्रभु देश घोषित किया गया था। पर सवाल है कि आखिर 15 अगस्त को ही हम स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं?
15 अगस्त की तारीख ही क्यों?
दरअसल, भारत की आजादी के लिए यह तारीख लॉर्ड माउंटबेटन ने चुनी थी, जिन्हें 1947 में भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर नियुक्त किया गया था। बताया जाता है कि ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून, 1948 तक यहां की सत्ता भारतीयों को स्थानांतरित करने का अधिकार दिया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए 15 अगस्त की तारीख ही चुनी। हालांकि कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है कि माउंटबेटन ने सी राजगोपालाचारी के सुझाव पर भारत की आजादी के लिए यह तारीख चुनी थी।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद से भारत की आजादी वास्तव में 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को हुई थी, जब भारत को आजादी के जश्न के साथ-साथ विभाजन की त्रासदी भी झेलनी पड़ी थी और एक अलग देश के में पाकिस्तान अस्तित्व में आया था। विभाजन के बाद पाकिस्तान में 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना शुरू हुआ तो भारत में एक दिन बाद 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। दशकों के संघर्ष के बाद भारत को यह आजादी मिली थी और यह खास दिन हमें इसकी याद भी दिलाता है कि स्वतंत्रता सेनानियों ने इसके लिए कितना त्याग व बलिदान किया।