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महिलाओं के लिए घातक है सर्वाइकल कैंसर, पर संभव है पूर्ण उन्‍मूलन, WHO चीफ ने दिया अहम संदेश

Updated Jan 06, 2022 | 14:48 IST

सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में प्रजनन उम्र में कैंसर के कारण महिलाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख का कहना है कि इसका पूर्ण उन्‍मूलन कर इतिहास रचा जा सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
महिलाओं के लिए घातक है सर्वाइकल कैंसर, पर संभव है पूर्ण उन्‍मूलन, WHO चीफ ने दिया अहम संदेश

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी– WHO ने कहा है कि अलबत्ता, सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज सम्भव है, मगर फिर भी ये ऐसी बीमारी है जो, दुनिया भर में, प्रजनन आयु में कैंसर के कारण महिलाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने एक ट्वीट सन्देश में कहा है, 'सर्वाइकल कैंसर की उच्च स्तर पर रोकथाम और उसका इलाज भी किया जा सकता है। यह कैंसर का एक ऐसा रूप भी हो सकता है जिसका पूरी तरह उन्मूलन कर दिया जाए।'

निर्धन सर्वाधिक प्रभावित

कैंसर पर अन्तरराष्ट्रीय शोध एजेंसी (IARC) के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर को वैक्सीन के टीकाकरण व अग्रिम अवस्था में जाँच-पड़ताल करके काफ़ी हद तक रोका जा सकता है, और इसकी उपयुक्त निगरानी के साथ-साथ इसका सफल इलाज भी किया जा सकता है। ये अन्तरसरकारी एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तहत काम करती है।

सर्वाइकल कैंसर, महिलाओं में कैंसर की दूसरी सबसे ज़्यादा प्रचलित बीमारी है जिससे मौतें भी सबसे ज़्यादा होती हैं। कैंसर के इस प्रकार से, आमतौर पर निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश ज़्यादा प्रभावित हैं। वर्ष 2020 में, दुनिया भर में, अनुमानतः छह लाख, चार हज़ार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की पहचान हुई थी। इनमें से तीन लाख 42 हज़ार महिलाओं की मौत, इसी बीमारी के कारण हो गई थी। 

सर्वाइकल कैंसर के मामले में जितनी वैश्विक विषमता देखी जाती है, उतनी विषमता, बहुत कम बीमारियों में देखी गई है। वर्ष 2018 में सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई कुल मौतों में से लगभग 90 प्रतिशत मौतें, निम्न व मध्यम आय वाले देशों में हुईं। इन देशों में सर्वाइकल कैंसर का बोझ बहुत ज़्यादा है क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सीमित है, और स्क्रीनिंग यानि पूर्व जाँच सुविधा व इलाज व्यापक पैमाने पर उपलब्ध नहीं हैं।

रोकथाम रणनीति

इस जानलेवा कैंसर का उन्मूलन करने के लिये रास्ता दिखाने की ख़ातिर, एक महत्वाकांक्षी, एकीकृत और समावेशी रणनीति विकसित की गई है। कैंसर पर अन्तरराष्ट्रीय शोध एजेंसी (IARC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), सर्वाइकल कैंसर को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ख़त्म करने के लिये, अपने साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ये काम, सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन में तेज़ी लाने के लिये तैयार की गई एक वैश्विक रणनीति के ज़रिये किया जा रहा है।

तीन लक्ष्य

सर्वाइकल कैंसर का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उन्मूलन करने के लिये, वैश्विक रणनीति में, सभी देशों को प्रति एक लाख महिलाओं में, चार मामलों से भी कम की दर हासिल करने की दिशा में काम करने को कहा गया है। ये लक्ष्य हासिल करने के लिये, देशों को तीन मुख्य लक्ष्य हासिल करके, उन्हें मौजूदा युवा पीढ़ी के जीवन काल में बरक़रार रखना होगा।

  1. पहला लक्ष्य है– 90 प्रतिशत लड़कियों को, 15 वर्ष की उम्र तक, एचपीवी निरोधक वैक्सीन की पूर्ण ख़ुराकें देनी होंगी।
  2. दूसरा लक्ष्य – 35 प्रतिशत की आयु तक की 70 प्रतिशत महिलाओं की स्क्रीनिंग यानि प्राथमिक जाँच, उच्च निष्पादन टैस्ट के ज़रिये हो और उसके बाद फिर से 45 वर्ष की उम्र होने पर।
  3. तीसरा लक्ष्य – कैंसर की प्राथमिक अवस्था वाली महिलाओं में से 90 प्रतिशत को इलाज मुहैया कराना और कैंसर की आक्रामक अवस्था वाली 90 प्रतिशत महिलाओं की समुचित देखभाल का प्रबन्ध करना।

डॉक्टर टैड्रॉस का कहना है, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन तमाम देशों और साझीदारों से, जीवनरक्षक एचपीवी वैक्सीन का टीकाकरण सर्वसुलभ बनाने, और स्क्रीनिंग, इलाज व देखभाल का दायरा बढ़ाने का आहवान करता है।' सर्वाइकल कैंसर का अगली सदी में उन्मूलन करने के रास्ते पर पहुँचने के लिये, प्रत्येक देश को 90-70-90 के लक्ष्य, 2030 तक हासिल करने चाहिये।