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सच सामने लाने के लिए पत्रकारों ने चुकाई बड़ी कीमत, 55 की बीते साल गई जान, UNESCO के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

Updated Jan 07, 2022 | 16:02 IST

दुनियाभर में पत्रकारों, मीडियाकर्मियों के लिए बीता साल बेहद खराब रहा, जब पेशेवर कामकाज के दौरान कई पत्रकारों को जोखिम का सामना करना पड़ा। UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, 2006 के बाद पत्रकारों के मारे जाने की कुल घटनाओं में 87 फीसदी अब भी अनसुलझे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
सच सामने लाने के लिए पत्रकारों ने चुकाई बड़ी कीमत, 55 की बीते साल गई जान, UNESCO के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के अनुसार, वर्ष 2021 में दुनिया भर में 55 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों ने अपनी जान गंवाई है। वर्ष 2006 के बाद से पत्रकारों के मारे जाने की कुल घटनाओं में 87 फ़ीसदी अब भी अनसुलझी हैं। पिछले एक दशक में किसी एक साल में जान गंवाने वाले पत्रकारों का यह आंकड़ा सबसे कम है, मगर, यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को निशाना बनाये जाने वाले अपराधों के लिये दण्डमुक्ति व्यापक स्तर पर व्याप्त है। पत्रकारों को अपने कामकाज के दौरान विशाल जोखिमों का सामना अब भी करना पड़ रहा है।

यूएन एजेंसी की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा कि एक बार फिर, वर्ष 2021 में, बड़ी संख्या में पत्रकारों ने सच्चाई को प्रकाश में लाने के लिये एक भारी क़ीमत चुकाई है। इस समय, दुनिया को स्वतंत्र, तथ्यात्मक जानकारी की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करने के और ज़्यादा प्रयास करने होंगे कि जो इसके लिये अथक काम कर रहे हैं, वे बिना किसी भय के ऐसा कर सकें।' 'UNESCO Observatory of Killed Journalists' नामक एक पहल ने वर्ष 2021 में जान गंवाने वाले 55 पत्रकारों के सम्बन्ध में तथ्य जुटाए हैं। 

इनमें से दो-तिहाई पत्रकार उन देशों में मारे गए हैं, जोकि फ़िलहाल सशस्त्र संघर्ष या टकराव के दौर से नहीं गुज़र रहे हैं। मौजूदा हालात, वर्ष 2013 से पूरी तरह उलट हैं, जब दो-तिहाई से अधिक पत्रकारों ने हिंसाग्रस्त देशों में अपनी जान गंवाई थी। यूएन एजेंसी ने कहा है कि ये दर्शाता है कि ग़लत कृत्यों को उजागर करने के काम में जुटे, पत्रकार निरन्तर जोखिमों का सामना कर रहे हैं।

पत्रकारों के लिये जोखिम

पिछले साल अधिकांश पत्रकारों ने एशिया-प्रशान्त (23 मौतें) और लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र (14 मौतें) में अपनी जान गंवाई हैं। यूनेस्को का कहना है कि जान गंवाने वाले पत्रकारों की संख्या में कमी आने के बावजूद, इन अपराधों के लिये दण्डमुक्ति चिन्ताजनक ढंग से व्याप्त है। आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2006 के बाद से पत्रकारों के मारे जाने की कुल घटनाओं में 87 फ़ीसदी मामले अब भी अनसुलझे हैं।

हाल ही में, यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने म्यांमार में एक सैन्य हमले के दौरान गोलीबारी में, साइ विन आंग नामक पत्रकार की मौत होने की निन्दा की थी। मृतक पत्रकार, कायिन प्रान्त में रह रहे शरणार्थियों की व्यथा पर, फ़ेडेरल न्यूज़ जर्नल के लिये रिपोर्टिंग कर रहे थे। यूनेस्को ने कुछ ख़बरों का हवाला देते हुए बताया कि कथित रूप से म्याँमार के सशस्त्र बलों द्वारा की गई घातक गोलाबारी में वह गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई।

हिंसा के अनेक रूप

विश्वभर में पत्रकारों को बन्दी बनाये जाने, शारीरिक हमले होने, डराये-धमकाये जाने, प्रताड़ित किये जाने जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से विरोध-प्रदर्शनों की कवरेज करने वाले पत्रकारों को। महिला पत्रकार विकट हालात में काम करती हैं, जहां उन्हें ऑनलाइन माध्यमों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। यूनेस्को ने पिछले वर्ष अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की थी, जो दर्शाती है कि एक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली तीन-चौथाई महिलाओं ने कामकाज के सम्बन्ध में ऑनलाइन हिंसा का अनुभव करने की बात स्वीकार की है।

यूनेस्को की भूमिका 

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, यूनेस्को पर विश्व में अभिव्यक्ति की आज़ादी और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व है। यूनेस्को, पत्रकारों की सुरक्षा और दण्डमुक्ति के मुद्दे पर यूएन की कार्ययोजना को लागू किये जाने में समन्वयक की भूमिका भी निभाता है। वर्ष 2022 में इस कार्ययोजना की दसवीं वर्षगांठ है। संगठन व्यवस्थागत ढँग से हर पत्रकार के मारे जाने की घटना की निन्दा करता है और सम्बद्ध प्रशासन से पूर्ण जाँच की मांग की जाती है।

यूनेस्को द्वारा पत्रकारों और न्यायिक पक्षकारों के लिये प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जाता है और देशों की सरकारों के साथ मिलकर समर्थक नीतियों व क़ानूनों को विकसित किया जाता है। इसके अलावा, हर वर्ष 3 मई को मनाये जाने वाले 'विश्व प्रैस स्वतंत्रता दिवस' जैसे आयोजनों के ज़रिये इन मुद्दों के प्रति जागरूकता का प्रसार किया जाता है।