नई दिल्ली। प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए ग्रेच्युटी (Gratuity) का अधिकार देने वाले 2009 के कानून को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि निजी स्कूलों को अब उन शिक्षकों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा जो साल 1997 के बाद रिटायर हुए थे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि, 'ग्रेच्युटी के भुगतान (Gratuity Rule) को अप्रत्याशित या निजी स्कूलों द्वारा देय इनाम के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह सेवा की न्यूनतम शर्तों में से एक है।'
ब्याज के साथ करनी होगी पेमेंट
पीठ ने कहा कि इस शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं होने वाला निजी स्कूलों का तर्क अनुचित और तुच्छ है। ग्रेच्युटी पेमेंट (संशोधन) अधिनियम, 2009 सहित सभी प्रतिष्ठान कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं। जस्टिस खन्ना और त्रिवेदी ने अन्य निजी स्कूलों के साथ-साथ इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर 20 से अधिक याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है और उन्हें कर्मचारियों या शिक्षकों को ग्रेच्युटी (संशोधन) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार छह सप्ताह के भीतर ब्याज के साथ पेमेंट करने का आदेश दिया।
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निजी स्कूलों ने कहा था कि 2009 का कानून शीर्ष अदालत के उस फैसले का उल्लंघन है जिसमें इस विचार को बरकरार रखा गया था कि निजी स्कूल के शिक्षक कर्मचारी नहीं हैं और इसलिए वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे सभी ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हैं।
इस पर पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के ग्रेच्युटी के दावे को खारिज करते हुए भी, पहले के ग्रेच्युटी कानून में खामियों की ओर इशारा किया था और कहा था कि इसे ठीक करना विधायिका का काम है।