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Varanasi News: वाराणसी में पकड़े गए 11 'मुन्ना भाई', इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के दम पर लेते थे नकल कराने का ठेका

Updated Aug 23, 2022 | 19:23 IST

Varanasi News: पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने यूपीएसएसएससी के द्वारा आयोजित वन रक्षक एवं वन्य जीव रक्षक भर्ती परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह के 11 अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया। उनके पास से पांच इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल और अन्य उपकरण बरामद हुआ है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने किया गिरोह का खुलासा
मुख्य बातें
  • पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने की कार्रवाई
  • नकल कराने वाले गिरोह के 11 अन्य सदस्यों को किया गिरफ्तार
  • कई जिलों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व ब्लूटूथ के माध्यम से नकल कराने का लेते है ठेका

Varanasi news: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने यूपीएसएसएससी के द्वारा आयोजित वन रक्षक एवं वन्य जीव रक्षक भर्ती परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह के 11 अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से पांच इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल और अन्य उपकरण बरामद हुआ है। इस मामले का खुलासा पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने किया।   

वहीं राजस्थान इंटर कॉलेज में परीक्षा दे रहे अनिल यादव निवासी सिंहपुर थाना चोलापुर वाराणसी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व ब्लूटूथ से परीक्षा देते पकड़ा गया था। इसके बाद एसपी ने कटरा कोतवाल, एसओजी, स्वाट व सर्विलांस की टीमों को गठित कर भर्ती परीक्षा में सेंधमारी करने वाले 11 अन्य अभियुक्तों को कटरा कोतवाली क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।  

नकल कराने के लिए लेते थे तीन से पांच लाख रुपये 

इन गिरफ्तार आरोपियों में अनिल यादव के अलावा सुनील यादव, मो. अकरम, अवनीश यादव, मनोज यादव, विकास कहार, हीरा यादव, मनीष यादव, करन कुमार, दिलीप यादव, जितेंद्र पाल, परमहंस पाल को जेल भेज दिया गया। इनके पास से पांच इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, तीन ब्लूटूथ, 14 मोबाइल, 36,750 रुपये नगद, चार बाइक, दो मोबाइल चार्जर, पांच यूएसबी केबल बरामद हुआ है। पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा के मुताबिक, गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि, इनका संगठित गिरोह है, जो कई जिलों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और ब्लूटूथ के माध्यम से नकल कराने का ठेका लेता है। इसके लिए प्रति अभ्यर्थी से तीन से पांच लाख रुपये वसूल करते हैं। प्रत्येक अभ्यर्थी को एक डिवाइस देते हैं, जो क्रेडिट/डेबिट कार्ड जैसा दिखने में होता है।  

संस्था के कर्मचारी भी होते है शामिल

उसमें सिम कार्ड लगाने की व्यवस्था रहती है। परीक्षा से एक दिन पहले अभ्यर्थी को किसी स्थान, होटल पर बुलाकर बताया जाता है कि कहां व कैसे यह डिवाइस प्राप्त होगी। उस डिवाइस के बारे में बताया जाता है। इस गिरोह में परीक्षा केंद्रों पर उनके गिरोह में पर्यवेक्षण करने वाले एवं परीक्षा का संचालन कराने वाली संस्था के कर्मचारी भी शामिल रहते हैं। परीक्षा में लगे कर्मचारी द्वारा अभ्यर्थी को यह डिवाइस उपलब्ध कराया जाता हैं। अभ्यर्थी सिम कार्ड और चिप को बताए गए तरीके से लगाता है। इसके बाद ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर बैठे सॉल्वर गिरोह के सदस्यों से प्रश्नों का उत्तर पूछकर ओएमआर शीट पर गोले को भरता है।

कई जिलों में है संगठित गिरोह

पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा के अनुसार पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि, इनका संगठित गिरोह है, जो कई जिलों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व ब्लूटूथ के माध्यम से नकल कराने का ठेका लेता है। इसके लिए प्रति अभ्यर्थी से तीन से पांच लाख रुपये वसूल करते हैं।

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