- अब वाराणसी में पश्मीना के बचे धागों से बनेंगे कंबल और दरी
- काशी में ही तैयार किया जाएगा रेशम का धागा
- लगाई जाएगी सिल्क प्रोसेसिंग यूनिट
Varanasi Pashmina Unit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी में खादी ग्रामोद्योग आयोग अब दरी और कंबल ठंड में गर्माहट देने वाली पश्मीना के बचे धागे से तैयार करेगा। दरअसल, पश्मीना शॉल बनाने के दौरान धागे बच जाते हैं, ऐसे में उन बचे धागों का प्रयोग खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा किया जाएगा। इस पर खादी ग्रामोद्योग ने काम भी शुरू कर दिया है। इस कंबल में ठंड नहीं लगेगी और शॉल जितनी गर्माहट देगा। इसके लिए सैंपल भी तैयार किया गया है।
आपको बता दें कि, पश्मीना शॉल बनाने वाले बुनकर ही कंबल और दरी बनाएंगे। कंबल को बनाने में करीब पांच हजार रुपये की लागत आएगी। दो किलो दो सौ ग्राम का यह कंबल बनाया जाएगा। 3500 रुपये में यह उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध रहेगा।
एक किलो में मिलता है 200 ग्राम पश्मीना
आपको बता दें कि, पश्मीना शॉल तैयार करने में एक किलो पश्मीना धागे का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 800 ग्राम धागा खराब हो जाता है, मात्र 200 ग्राम ही सही पश्मीना मिलता है। अब इसी वेस्ट प्रोडक्ट से कंबल और दरी बनाई जाएंगी। खादी ग्रामोद्योग आयोग निदेशक डीएस भाटी ने बताया कि, पश्मीना के बचे धागे से कंबल व दरी तैयार किए जाएगें। इससे जहां एक ओर वेस्ट मैटेरियल का प्रयोग होगा। वहीं दूसरी ओर बुनकरों का रोजगार भी बढ़ेगा।
काशी में तैयार होगा रेशम का धागा
वहीं, बनारसी साड़ी बनाने वाले बुनकरों को रेशम के धागे के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। काशी में ही अब रेशम का धागा तैयार कराए जाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए यहां सिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की ओर से जून महीने में यूनिट की स्थापना सेवापुरी ब्लॉक में कराई जाएगी। साड़ी की बुनाई के लिए बुनकरों को अलग-अलग जगहों से कच्चा माल और धागे खरीदने पड़ते हैं। सिल्क प्रोसेसिंग यूनिट के लगने बाद बुनकरों का दूसरे प्रदेशों से धागा मंगवाने में होने वाला खर्च भी कम होगा। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग उत्पादित धागों की खपत पहले पूर्वांचल के जिले में करेगा।
बाहर से मंगाया जाता है धागा
प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने के बाद बुनकरों के साथ ही महिलाओं का भी रोजगार बढ़ेगा। धागा काटने का काम महिलाओं को दिया जाएगा। आपको बता दें कि, बुनाई के लिए अहमदाबाद, बंगाल से धागा मंगाया जाता है। इससे बुनकरों के खर्च के साथ ही समय भी ज्यादा लगता है। साड़ी तैयार करने के लिए कच्चा माल दुद्धी और छत्तीसगढ़ से मांगाया जाता है।