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Varanasi: कठपुतलियां सुनाएंगी काशी में बलिदानियों की कहानी, तीन दिन चलेगा पुतुल उत्सव का आयोजन

Updated Mar 21, 2022 | 19:52 IST

Varanasi News: काशीवासियों के लिए कठपुतलियां तीन दिन तक देश के बलिदानियों की कहानियां सुनाएंगी। इसका आयोजन संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली व सुबह-ए-बनारस की ओर से तीन दिवसीय पुतुल उत्सव का आयोजन 21 से 23 मार्च तक किया जाएगा।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
काशी में होगा पुतुल उत्सव का आयोजन
मुख्य बातें
  • 21 से 23 मार्च तक होगा तीन दिवसीय पुतुल उत्सव का आयोजन
  • कठपुतलियां काशीवासियों को देश के बलिदानियों की कहानियां सुनाएंगी
  • आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इसका प्रदर्शन होगा

Varanasi News: देश की आजादी के लिए प्राणों को न्योछावर कर देने वाले बलिदानियों को स्मरण करना ही पुतुल उत्सव का उद्देश्य है। इस आयोजन को तीन दिनों में सात संस्थाएं आधे-आधे घंटे की प्रस्तुतियां देंगी। वाराणसी में कठपुतलियां तीन दिन तक काशीवासियों को देश के बलिदानियों की कहानियां सुनाएंगी। संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली व सुबह-ए-बनारस की ओर से तीन दिवसीय पुतुल उत्सव का आयोजन 21 से 23 मार्च तक किया जाएगा। 

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इसका प्रदर्शन पहले दो दिन अस्सी घाट पर और अंतिम दिन दीनदयाल हस्तकला संकुल बड़ालालपुर में होगा। पुतुल उत्सव के संयोजक जगदीश केसरी ने बताया कि, उत्सव का उद्देश्य देश की आजादी के लिए प्राणों को न्योछावर कर देने वाले बलिदानियों को स्मरण करना है। 

विभिन्न प्रकार की होती है कठपुतलियां

राजस्थान में इसका अलग ही महत्व है। विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जाने वाले मनोरंजक कार्यक्रम में से कठपुतली एक है। कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है, इसका नाम कठपुतली इस कारण पड़ा क्योंकि इससे लकड़ी अर्थात काष्ठ से बनाया जाता था। इस प्रकार काष्ठ से बनी पुतली का नाम कठपुतली पड़ा। वास्तव में यह पुतुल है और जब राजस्थान में जाती है और काठ के चेहरे और हाथ पाती है, तो कठपुतली हो जाती है। वैसे अलग-अलग जगहों पर इसके अलग-अलग नाम हैैं। यह पूर्वांचल में बालिकाओं के बालपन के खेल में शुमार है। यह भी पुतरी कही जाती है। 

पुतुल उत्सव का आयोजन 21 मार्च से 23 मार्च तक होगा 

21 मार्च - शाम सात बजे
-स्वागत आकार- पपेट थिएटर नई दिल्ली
-आखिरी सलाम- गगनिका सांस्कृतिक समिति शाहजहांपुर

22 मार्च - शाम सात बजे
-अवध की चिंगारियां-दीपा पपेट थिएटर लखनऊ
-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ- अनुभव पपेट थिएटर लखनऊ

23 मार्च - सुबह 11 बजे
- आजाद- सूत्रधार एकेडमी लखनऊ
- मोहन से महात्मा- क्रिएटिव पपेट थिएटर वाराणसी
- प्रकृति की महिमा- अभिनव समिति वाराणसी

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