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Varanasi News: परचून के डिब्‍बे में भरकर हो रहा था इस चीज की सप्‍लाई, अधिकारियों ने पकड़ा तो रह गए हैरान

Updated May 19, 2022 | 22:01 IST

Varanasi News: इस समय जीएसटी चोरी के लिए व्‍यापारी नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी लगातार कर चोरी के मामले पकड़े जा रहे हैं। वाराणसी के वाणिज्य कर विभाग ने एक ऐसे ट्रक को पकड़ा है जिसमें परचून के बिल पर मोटर व साइकिल पार्ट भेजे जा रहे थे।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
वाराणसी में जीएसटी चोरी पकड़ी
मुख्य बातें
  • व्‍यापारी कर चोरी के लिए खोज रहे नए-नए तरीके
  • कम जीएसटी वाले समानों का बिल दिखाकर भेज रहे महंगा सामान
  • वाणिज्य कर विभाग ने कर चोरी के मामले में पकड़े कई ट्रक

Varanasi News: जीएसटी चोरी के लिए व्‍यापारियों द्वारा कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जिनका खुलासा होने पर अधिकारी भी हैरान हो जाते हैं। शहर में कर चोरी का एक ऐसा मामला पकड़ गया है, जिसका पता चलने पर वाणिज्य कर विभाग की एसआइबी टीम भी हतप्रभा रह गई। टीम ने एक ट्रक रोककर जब बिल मांगा तो अधिकारियों को परचून का बिल थमाया गया। वहीं इसके बाद लोड माल के लिए जब ट्रक को खुलावाया गया तो उसमें भी बड़े-बड़े परचून ब्रांड के बॉक्‍स रखे गए थे, लेकिन इनके अंदर मोटर व साइकिल पार्ट भरे हुए थे। इसका पता बॉक्‍स को खोलने के बाद चला।

इसी तरह के एक दूसरे मामले में ओडिशा के राउरकेला से सरिया प्रयागराज भेजी जा रही थी। प्रयागराज की जिस फर्म के नाम पर बिल बना था, जब उससे पूछा गया तो बताया कि उसने कोई माल ही नहीं मंगवाया है। ऐसे ही एक मामले में कोलकाता से नई दिल्ली के लिए ट्रक में बीड़ी भेजी जा रही थी। जिसकी जांच में पता चला कि उसमें 21.45 लाख से अधिक बीड़ी स्टिक है, लेकिन जो बिल बना था, उसमें सिर्फ 7.77 लाख स्टिक ही दर्शाया गया था। इन तीनों मामलों में कर चोरी करने वालों पर 35 लाख रुपये अर्थदंड लगाया गया है।

फर्जी तरीके से मंगा रहे थे सरिया

कर चोरी के इन तरीकों की जानकारी देते हुए वाणिज्यकर विभाग के अपर आयुक्त मिथिलेश कुमार शुक्ला ने बताया कि टीम ने सरिया ले जा रहे एक ट्रक को रोक कर जब जांच की तो पता चला कि राउरकेला की एक टेडर्स फर्म ने 25.04 टन लोहे के सरिए प्रयागराज की एक फर्म के लिए भेजे थे। इसका ई-वे बिल नहीं था। जिसके बाद जब इस फर्म की जांच की गई तो पता चला कि उक्त फर्म ने कोई माल मंगाया ही नहीं है। वहीं राउरकेल की फर्म ने सरियों के बिल पर 9.75 लाख ही मूल्य डाला था, जबकि बाजार भाव में इसकी कीमत 15.24 लाख रुपए आंकी गई। फर्म पर विभाग ने 17.73 लाख रुपये अर्थदंड लगाया।

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