- बनारस में 100 से अधिक लोगों ने पाल रखे हैं खतरनाक नस्ल के कुत्ते
- वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में रोजाना लगभग 90 लोग आते हैं रैबिज का इजेंक्शन लगवाने
- निगम क्षेत्र में 398 कुत्तों का हुआ है रजिस्ट्रेशन
Varanasi Municipal Corporation: बड़े शहरों के बाद वाराणसी में भी खूंखार कुत्ते लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। बनारस के अलग-अलग घरों में 100 से भी अधिक लोगों ने खतरनाक नस्ल के कुत्तों को पाल रखा है। ऐसा हम नहीं बता रहे बल्कि यह जानकारी वाराणसी नगर निगम के अफसरों ने दी है। यही वजह है कि, नगर निगम के पशु विभाग ने इसको ध्यान में रखते हुए अब डॉग लवर्स के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। बता दें कि जिसके तहत कई दिशा निर्देश भी कुत्ते पालने वालों को दिए गए हैं।
मिली जानाकारी के अनुसार वाराणसी नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक, नगर निगम के एरिया में करीब 398 पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। जिसमें से 118 कुत्ते काफी खतरनाक नस्ल के हैं, जो लोगों के घरों में पाले जा रहे हैं। इसमें से 100 जर्मन शेफर्ड हैं, 13 रॉटविलर, 4 ग्रेट डेन और 1 हसकी डॉग सम्मिलित है। बता दें कि, इन खतरनाक नस्ल के कुत्तों के अलावा शहर भर में घूमने वाले कई आवारा कुत्ते भी काफी खूंखार हो चुके हैं। यही कारण है कि वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में हर रोज लगभग 90 लोग रैबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं।
नगर निगम ने दिए हैं ये निर्देश
जानकारी के लिए बता दें कि, नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय सिंह ने कुत्ते पालने वालों से अपील की है कि, लोग अपने घरों में खतरनाक नस्ल के कुत्तों को न ही पालें तो अच्छा होगा। इसके अलावा जिन लोगों ने भी अपने घरों में कुत्तों को पाल रखा है उन्हें एक फिक्स जगह पर न बांधें, उन्हें बांधे रखने के बजाय उन्हें हर दिन घुमाया करें। उन्हें भर पेट भोजन देने की व्यवस्था करें, जिससे कि वो किसी दूसरे पर हमला न कर दें।
बाहरी वातावरण से कराएं पालतू कुत्तों को परिचित
बता दें कि निगम की ओर से डॉ. अजय सिंह ने बताया है कि, यदि कुत्तों को एक दो कमरों में हमेशा बांध कर रखा जाता है। उन्हें बाहरी माहौल से परिचित नहीं कराते हैं, तो इससे आम कुत्ते भी खूंखार बन सकते हैं। इसके बाद वह कुत्ता खुद अपने मालिक पर भी हमला कर देता है। इसलिए उनके व्यवहार पर ध्यान देते रहें। उन्हें सुबह-शाम खास ध्यान रखते हुए टहलाया करें।