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Imran Khan: नंबर गेम में पिछड़ रहे हैं इमरान खान ! सरकार बचाने के लिए अपना रहे ये हथकंडे

Updated Mar 25, 2022 | 12:35 IST

Imran Khan in Political Crisis: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं। अविश्ववास प्रस्ताव से उनका राजनीतिक भविष्य तय होगा। इस बीच अपनी सरकार बचाने के लिए वह सभी तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
संकट में इमरान खान सरकार
मुख्य बातें
  •  पाकिस्तान की 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली में इमरान खान को अपनी सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है ।
  • पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) पार्टी पास कुल 155 सीटें हैं। और इमरान खान को अपनी ही पार्टी के दो दर्जन बागियों की नाराजगी का सामाना करना पड़ रहा है।
  • इमरान खान की सबसे बड़ी उम्मीद पाकिस्तान की सेना से थी। लेकिन उसने भी उनसे किनारा कर लिया है।

Imran Khan : पाकिस्तान के प्रधानंत्री इमरान खान के लिए वह घड़ी अब सामने आ गई है। जिससे वह लगाचार बचने की कोशिश कर रहे थे।  पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में आज प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। किसी भी  कीमत पर इस्तीफा नहीं देने और अंतिम समय में विपक्ष को सरप्राइज देने का दावा कर रहे इमरान खान अब क्या कदम उठाते हैं, इसी पर सबकी नजर है। लेकिन एक बात तो साफ हैं नंबर इमरान का साथ नहीं दे रहे हैं। 

नंबर किसके साथ

 पाकिस्तान की 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली में इमरान खान को अपनी सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत । जो कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के पास अपने दम पर नहीं है। पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) के पास कुल 155 सीटें हैं। ऐसे में उसे सरकार बचाने के लिए कम से कम 17 सीटों की जरूरत है। अविश्वास प्रस्ताव से पहले तक इमरान खान की सरकार को सहयोगी दलों के जरिए 24 सीटों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन जैसी खबरे हैं, खुज इमरान की पार्टी के ही दो दर्जन के करीब सदस्य अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने को तैयार बैठे हैं। 

जबकि विपक्षी दल जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) शामिल हैं। उनके पास करीब 162 सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में अगर इमरान  खान बागी सदस्यों को अपने पाले में नही ला सके तो उनकी सरकार का गिरना तय है। इस बीच इमरान खान सरकार के सबसे बड़े सहयोगी एमक्टूएम-पी के पाला बदलने की खबर है। जिसके नेशनल असेंबली में कुल 7 सदस्य हैं। अविश्वास प्रस्ताव के पहले इमरान के लिए यह बड़ा झटका है।

इमरान के दांव हो रहे हैं फेल

इमरान इस बीच अपनी सरकार बचाने के लिए हर तिकड़म चलते दिख रहे हैं। पहली उनकी कोशिश यह थी कि वह अपनी पार्टी के बागी सदस्यों को असेंबली में अयोग्य घोषित करा दें। जिससे अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उनके वोट की गिनती नहीं रहे। ऐसा कर वह अपनी सरकार बचा सकते थे। लेकिन कोर्ट से उन्हें झटका लगा है। बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश  ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही के दौरान सदस्यों द्वारा डाले गए वोटों की गिनती नहीं करना "अवमानना" होगा।

यहा से झटका खाने के बाद ऐसी भी कोशिश हुई कि इमरान खान बागी सदस्यों को मंत्री बना देंगे। लेकिन यह भी दांव काम करता नहीं दिख रहा है। ऐसे में वह पाकिस्तान में मध्यावधि चुनाव का भी ऐलान कर सकते हैं। इस बात के संकेत पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने बृहस्पतिवार को दिए हैं, उनके पाकिस्तान में जल्द चुनाव हो सकता है।

सेना ने भी बनाई दूरी

इमरान खान की सबसे बड़ी उम्मीद पाकिस्तान की सेना से थी। लेकिन उसने भी उनसे किनारा कर लिया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जनरल कमर जावेद बाजवा के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्तीफा देने के लिए पहले ही कह चुके है।।

इमरान ने 27 मार्च को बुलाई रैली

इस बीच इमरान खान की पूरी कोशिश है कि उन्हें समय मिल जाए। और वह इसी कोशिश में हैं कि भले ही अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली के एजेंडे में शामिल कर लिया गया है। लेकिन उस पर वोटिंग जरूर टल जया। इमरान खान ने 27 मार्च को इस्लामाबाद में एक बड़ी रैली का आह्वाहन किया है। वहीं विपक्ष ने भी उनके दांव को पटखनी देने के लिए 26 मार्च को रैली निकालने की तैयारी कर ली है।

महंगाई और बदहाल इकोनॉमी बनी मुसीबत

पाकिस्तान के विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए, इमरान खान सरकार पर आरोप लगाया है कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई की वजह मौजूदा सरकार है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने पीएमएल के  100 नेशनल एसेंबली सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि हमने पाकिस्तान के लोगों के लिए यह फैसला किया है। इसी तरह पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने कहा कि सरकार के खराब प्रदर्शन से सत्ताधारी दल के नेताओं सहित कई लोग परेशान हैं। 

असल में पाकिस्तान की इकोनॉमी इस समय उधार पर टिकी हुई है। पाकिस्तान द्वारा लिया गया उधार और देनदारी पहली बार 50 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। सितंबर 2021 में यह देनदारी 50.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये थी। जो कि अभी 51 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के करीब है। पाकिस्तान के कर्ज में करीब 20 लाख करोड़ पाकिस्तान रूपये की बढ़ोतरी इमरान खान सरकार के दौर में हुई है। इसी तरह वहां पेट्रोल के दाम 150 रुपये  तक पहुंच गए  हैं। जबकि फरवरी में उपभोक्ता महंगाई दर 12.2 फीसदी पर पहुंच गई थी।  इसी तरह फरवरी 2022 में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 2 अरब डॉलर से ज्यादा रहा है। हालांकि जनवरी के मुकाबले चालू खाता घाटा में 0.5 अरब डॉलर की कमी आई है।

भारत पर क्या होगा असर

इमरान खान की सरकार अगर गिर जाती है, तो भारत के साथ रिश्तों पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। ऐसा इसलिए है कि मोदी सरकार ने 2016 से पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद कर रखी है। जो इमरान के 2018 में सत्ता में आने के बाद भी जारी है। इस बीच 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद इमरान का रूख काफी भारत विरोधी रहा है। इस दौरान फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान सेना के बीच युद्ध विराम का समझौता ही सकारात्मक कदम रहा है।

हालांकि इस बीच सरकार गिरने के खतरे के बीच इमरान खान के सुर बदले हैं और वह कभी भारत की विदेश नीति और कभी भारतीय सेना की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि इस प्रशंसा से उन्हें कोई फायदा होने वाला है।
 

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