- तालिबान को संवेदनशील बनाने के साथ समावेशी सरकार के गठन में मदद की जरूरत-इमरान खान
- समावेशी सरकार के गठन से ही अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वापसी
- अफगानिस्तान में तालिबान के कई गुटों में मतभेद की खबरें
अफगानिस्तान में तालिबान राज स्थापित है। लेकिन उनके कई गुटों में कलह भी है। खासतौर से अब्दुल्ला गनी बरादर को लेकर स्थिति साफ नहीं है कि वो कहां हैं, हालांकि ऑडियो जारी कर यह बताने की कोशिश की गई है कि वो ठीक हैं। इन सबके अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका भी अब खुलकर सामने आ गई है। तालिबान सरकार के गठन से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री का दौरा और हाल ही में आईएसआई चीफ का दौरा इस बात की तस्दीक करता है। उसी क्रम में अब इमरान खान खुलकर तालिबान के समर्थन में बयान दे रहे हैं।
इमरान खान का कहना है कि तालिबान को संवेदनशील बनाने में मदद के साथ साथ उन्हें महिलाओं के अधिकार के साथ साथ समावेशी सरकार के बनाने में मदद करनी चाहिए।
'समावेशी सरकार बनाने में मदद की जरूरत'
सीएनएन के साथ बातचीत में इमरान खान कहते हैं कि अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए जरूरी है तालिबान को ना सिर्फ संवेदनशील बनाने बल्कि समावेशी सरकार के फायदे में बताते हुए मदद करनी चाहिये। इमरान खान कहते हैं कि अगर तालिबान समावेशी सरकार को बना पाने में कामयाबी मिलती है तो अफगानिस्तान में शांति की स्थापना हो सकेगी। तालिबान के नेताओं को भी समझना होगा कि वो किस तरह से काम करें ताकि उनके खिलाफ बनी हुई दूर हो सके।
'अफगानिस्तान को अराजक हालात से बचाना होगा'
उनके मुताबिक अगर समावेशी सरकार के नाकामी हाथ लगी तो वो चिंता वाली बात होगी। यही नहीं अफगानिस्तान में पूर्ण रूप से अराजकता आ जाएगी। मानवीय संकट, शरणार्थी संकट बढ़ेगा। यह सोचना ही बेमानी है कि महिलाओं के अधिकार के लिए कोई बाहर से मदद देगा। अफगानी महिलाएं मजबूत हैं, उन्हें समय दें, वो अपने अधिकारों को पा जाएंगी। दरअसल तालिबान के सत्ता में आने के बाद जिस तरह से सैलोन पर लगी तस्वीरों को पेंट किया गया उसके बाद संदेश गया कि अब अफगानिस्तान में महिलाओं के दुर्दिन आ चुके हैं।