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UNSC में भारत की दो टूक- किसी देश को धमकाने के लिए ना हो अफगान जमीन का इस्तेमाल, वहां हालात बेहद नाजुक

Updated Sep 10, 2021 | 09:41 IST

UNSC में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चिंता जताई और कहा कि अफगान भूमि का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने, हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

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UNSC में बोला भारत- अफगानिस्तान में हालात बेहद नाजुक
मुख्य बातें
  • UNSC में बोला भारत- अफगानिस्तान में स्थिति अब भी बेहद नाजुक
  • किसी देश पर हमले, आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए न हो अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल- भारत
  • अफगानिस्तान में एक ऐसी व्यवस्था हो जिसमें सभी वर्गों का हो प्रतिनिधित्व- भारत

संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर तालिबान (ऊोतगवोल) के काबिज होने के बाद वहां हालात लगातार खराब हो रहे हैं। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी चर्चा हुई। भारत ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने  कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी और लोगों के दोस्त होने के चलते मौजूदा स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय है।

अफगानिस्तान के हालात चिंताजनक
अफगानिस्तान पर यूएनएससी डिबेट में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, 'अफगानिस्तान में हालात अभी भी बेहद चिंताजनक बने हुए हैं। इसके करीबी पड़ोसी और यहां के लोगों के मित्र के रूप में, वर्तमान स्थिति हमारे लिए सीधी चिंता का विषय है। अफगान लोगों के भविष्य के साथ-साथ पिछले दो दशकों में हासिल किए गए लाभों को बनाए रखने और निर्माण करने के बारे में अनिश्चितताएं बहुत अधिक हैं।'

तत्काल पहुंचे मदद
टीएस तिरुमूर्ति ने आगे कहा, 'हम अफगान महिलाओं की आवाज सुनने, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं को साकार करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता को दोहराते हैं। हम तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने का आह्वान करते हैं और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों को निर्बाध पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।'

अफगानिस्तान में हो समावेशी व्यवस्था

भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालातों का जिक्र करते हुए कहा, 'भारत अफगानिस्तान में समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करता हो। एक व्यापक-आधारित, समावेशी और प्रतिनिधि गठन, जो समावेशी बातचीत के जरिए राजनीतिक समाधान के माध्यम से प्राप्त हुआ वह अधिक अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता और वैधता प्राप्त करेगा।'