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अफगानिस्तान में भारत के ये हैं बड़े निवेश, जानें तालिबान के आने से क्या होगा असर

Updated Aug 16, 2021 | 14:45 IST

भारत ने अफगानिस्तान में करीब 3 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। जिसमें वहां की संसद से लेकर भारत-अफगानिस्तान की दोस्ती का प्रतीक सलमा बांध, जरांज-डेलाराम राजमार्ग भी शामिल है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
अफगानिस्तान पर तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है
मुख्य बातें
  • भारत-अफगानिस्तान दोस्ती के प्रतीक सलमा बांध के निर्माण पर भारत ने 275 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
  • भारतीय सीमा सड़क संगठन ने 218 किलोमीटर लंबे जरांज-डेलाराम राजमार्ग का निर्माण किया है। जिससे भारत और अफगानिस्तान के बीच कनेक्टिविटी के लिए पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म हो जाती है।
  • भारत ने अफगानिस्तान की संसद का भी निर्माण किया था। जिस पर उसने 90 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं।

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर एक बार फिर तालिबान का कब्जा हो चुका है। और उसका नया नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान रखा जा सकता है। तालिबान के 20  साल पुराने अनुभवों के देखते हुए इस बात की चिंताए बढ़ गई है कि कहीं ऐसा न हो कि नई सरकार भी पहले की तरह क्रूरता के साथ शासन करें। जिसमें लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकार की जगह बिल्कुल भी नहीं थी। साल 2001 में तालिबान शासन खत्म होने के बाद भारत ने अफगानिस्तान के साथ संबंधों की नई इबारत लिखने के साथ करीब 3 अरब डॉलर का निवेश किया है। इस बात की भी आशंका बढ़ गई है कि कहीं तालिबान 1.0 के समय अफगानिस्तान में जिस तरह मूर्तियां और इमारतों को नष्ट किया गया था, वैसा फिर न हो ? क्योंकि अगर ऐसा होता है तो भारत ने जो अफगानिस्तान के आम लोगों के साथ गुडविल बनाई है, उसे चोट पहुंचेगी। और क्षेत्र में राजनयिक संबंधों पर भी नकारात्मक असर होगा। आइए जानते हैं कि भारत के अफगानिस्तान में कौन से प्रमुख निवेश हैं..


सलमा बांध

अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में स्थित सलमा बांध एक जल विद्युत परियोजना है। जिसका निर्माण भारत द्वारा साल 2016 में किया गया था। इसे भारत-अफगान मैत्री बांध के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत और अफगानिस्तान के मजबूत रिश्तों के रूप में प्रोजेक्ट किया जाता रहा है। इसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्री मोदी द्वारा किया गया था। जिसका निर्माण भारत की मिनी रत्न कंपनी डब्ल्यूएपीसीओएस द्वारा किया गया है। इस बांध के निर्माण में भारत द्वारा 275 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। इसके निर्माण में जितने भी उपकरण और मैटेरियल लगे हैं, उसे भारत से लाया गया था। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में तालिबान ने इन इलाकों पर कब्जा कर लिया है। उसने यह भी दावा किया है कि बांध के आस-पास के इलाके पर कब्जा कर चुका है।

जरांज-डेलाराम राजमार्ग

भारतीय सीमा सड़क संगठन ने 218 किलोमीटर लंबे जरांज-डेलाराम राजमार्ग का निर्माण किया है। जो कि अफगानिस्तान-ईरान बार्डर पर स्थित है। जिसे खाश रूद नदी-डेलाराम-जरांज राजमार्ग के रुप से जाना जाता है। इसका निर्माण 300 भारतीय इंजीनियरों और श्रमिकों ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ मिलकर किया था। इसके निर्माण में 11 भारतीयों और 129 अफगानियों ने अपनी जान भी गंवाई थी। इसके जरिए दिल्ली से काबुल की कनेक्टिविटी आसान होती है। उसकी पाकिस्तान पर निर्भरता नहीं रह गई है। भारत ने चाहबार बंदरगाह के जरिए इसी रास्ते से 75 हजार टन गेहूं का निर्यात किया था।

अफगानिस्तान संसद भवन

भारत ने साल 2015 में अफगानिस्तान की संसद का निर्माण पूरा किया था। जिसका उद्घाटन उसी  वर्ष प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने  किया था। संसद भवन के निर्माण में 90 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ था । इसके अंदर बने एक ब्लॉक का नाम पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर है। संसद भवन को अफगानिस्तान में भारतीय लोकतंत्र की जीत के रुप में भी देखा जाता रहा है।

स्टोर महल

इस ऐतिहासिक महल का पुनरोद्धार 2016 में भारत ने किया था। इसी महल में साल 1919 में ऐतिहासिक रावलपिंडी समझौता हुआ था। जिसके बाद अफगानिस्तान को स्वतंत्रता मिली थी। साल 1965 तक अफगान सरकार का विदेश मंत्रालय इसी महल में हुआ करता था। बाद में भारत के आगा खां ट्रस्ट ने भारत और अफगानिस्तान सरकार के साथ हुए समझौते के बाद इसका पुनर्निमाण किया। नए महल का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इसका उद्घाटन किया था।

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर चाइल्ड हेल्थ  

भारत द्वारा साल 1971 में बनाए गए इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर चाइल्ड हेल्थ अस्पताल को 1996 में तालिबान की सत्ता में आने के बाद तोड़ दिया गया था। लेकिन जब 2001 में तालिबान का शासन खत्म हुआ तो फिर से उस अस्पताल का निर्माण भारत द्वारा कराया गया। जो कि 2007 तक पूरा हो गया। काबुल में स्थित यह अस्पताल अफगानिस्तान का सबसे बड़े बच्चों का अस्पताल है।

इसके अलावा भारत काबुल में शहतूत बांध की निर्माण कर रहा है। इसके जरिए अफगानिस्तान के 20 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा। साथ ही करीब 80 मिलयन डॉलर के सामुदायिक विकास प्रोजेक्ट का निर्माण भी भारत कर रहा है।

आगे क्या है राह

अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान की सत्ता में वापसी से भारत के करीब 3 अरब डॉलर के निवेश पर आशंकाएं उठ रही है। ऐसे में आगे की राह पर पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं "अभी चीजें स्पष्ट नहीं है कि तालिबान भारत के साथ कैसे रिश्ते रखता है। यह जगजाहिर है कि तालिबान पर पाकिस्तान का प्रभाव है। ऐसे में वह भारत से कैसे रिश्ते रखेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक पहले से किए गए निवेश की बात है तो एक सकारात्मक बात दिखती है कि तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि हम चाहेंगे कि भारत अफगानिस्तान में अपने निवेश करता रहे। लेकिन यह सब शुरूआती बात है, आने वाले दिनों में ही तस्वीर साफ होगी। "