- बीते सोमवार से इजरायल और फलस्तीन के बीच संघर्ष शुरू हुआ है
- अल अक्सा मस्जिद को तीसरा सबसे बड़ा पवित्र स्थल मानते हैं मुस्लिम
- दीवारों से घिरे पठार को यहूदी भी अपने लिए पवित्र स्थल मानते हैं
नई दिल्ली : इजरायल और फलस्तीन के बीच संघर्ष एक बार फिर तेज हो गया है। रिपोर्टों की मानें तो गाजा पर इजरायल के हवाई हमलों में अब तक कम से कम 35 लोगों की जान गई है। इजरायल और फलस्तीन के बीच 2017 के बाद का यह सबसे ज्यादा हिंसक संघर्ष माना जा रहा है। दरअसल, इस नए विवाद एवं संघर्ष की वजह अल-अक्सा मस्जिद है। सोमवार को इजरायली पुलिस ने इस अल-अक्सा मस्जिद के परिसर पर धावा बोल दिया। पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे सैकड़ों फलस्तीनी घायल हुए।
अल-अक्सा मस्जिद को तीसरा सबसे बड़ा पवित्र स्थल मानते हैं मुस्लिम
मुस्लिम समुदाय यरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल मानता है। लेकिन परिसर जिसे मुस्लिम हरम अल-शरीफ के नाम से बुलाता है, इस जगह को यहूदी अपने लिए पवित्र मानते हैं। मुस्लिमों का मानना है कि रात की यात्रा (अल-इसरा) के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से चलकर अल-अक्सा मस्जिद आए थे और जन्नत जाने से पहले यहां रुके थे। यह मस्जिद पहाड़ पर स्थित है। इसे दीवारों से घिरा हुए पठार के रूप में भी जाना जाता है।
टेंपल माउंट को अपने लिए पवित्र मानते हैं यहूदी
दीवारों से घिरे हुए पठार में टेंपल माउंट भी है जिसे यहूदी अपने लिए पवित्र स्थान मानते हैं। यहुदियों का मानना है कि टेंपल माउंट का निर्माण बाइबिल के समय हुआ जिसे रोमन साम्राज्य ने 70 एडी के समय इसके पश्चिम हिस्से के छोड़कर बाकी नष्ट कर दिया। यहूदी इस दीवार को पूजते हैं। फलस्तीन, अरब देशों के मुस्लिम और इजरायली दीवारों से घिरे इस पठार पर अपना दावा करते आए हैं। इजरायल और फलस्तीन के बीच सुलह न होने का यह भी एक बहुत बड़ा कारण है। इस स्थान को लेकर फलस्तीन और इजरायल के बीच विवाद दशकों पुराना है।
क्यों हुआ ताजा संघर्ष
दरअसल, दमास्कस गेट प्लाजा में बड़ी संख्या में लोगों को जुटने से रोकने के लिए इजरायल पुलिस ने गत 12 अप्रैल को बैरिकेड्स लगा दिए। यह प्लाजा पूर्वी यरूशलम में स्थित है और इस पर इजरायल का नियंत्रण है। रमजान के महीने में फलस्तीनी मुस्लिम यहां बड़ी संख्या में जुटते हैं। इजरायल को यहां बड़ी संख्या में मुस्लिमों के एकत्र होने से इस बार उसके लिए खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए उसने भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए कदम उठाए। इसके कुछ दिनों बाद 16 अप्रैल को इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में नमाज के लिए लोगों की संख्या 10,000 तय कर दी। दरअसल, नमाज अदा करने के लिए हजारों फलस्तीनी मस्जिद आने चाहते थे लेकिन इन सभी को वापस भेज दिया गया।
शेख जर्रा से निकाले गए यहूदी परिवार
इसके बाद से इजरायल और फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच संघर्ष तेज हो गया। गत सात मई को हुई हिंसा में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए। रिपोर्टें यह भी हैं कि इजरायल की कार्रवाई से नाराज फलस्तीनियों ने शेख जर्रा से यहूदी परिवारों को निकाल दिया। वहीं, जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल ने नौ मई को शेख जर्रा की विवादित जमीन के मालिकाना हक की सुनवाई स्थगित कर दी। फलस्तीनी लड़ाकों एवं प्रदर्शनकारियो को पीछे धकेलने के लिए इजरायल ने हवाई हमले शुरू किए।
गाजा पर 2014 के बाद सबसे भीषण हमला
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली सुरक्षा बलों ने बुधवार तड़के गाजा स्ट्रिप पर ताजा हमले किए। बताया जाता है कि 2014 के बाद से गाजा पर इजरायल का यह सबसे बड़ा हवाई हमला है। गाजा में स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि सोमवार से गाजा स्ट्रिप पर हुए इजरायल के हवाई हमलों में 10 बच्चों सहति कम से कम 35 फलस्तीनियों की मौत हुई है। इजरायल की तरफ से ये हवाई हमले तब शुरू हुए जब हमास ने इजरायल और उसके तटवर्ती इलाके को निशाना बनाते हुए रॉकेट से हमले किए। रिपोर्ट के मुताबिक हमास के हमले में इजरायल के तीन नागरिक भी मारे गए हैं।