इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दो दिन की अपनी सऊदी अरब की यात्रा से लौटे हैं। उनके इस दौरे को एक कामयाब दौरा बताया जा रहा है। इमरान की इस यात्रा पर सऊदी अरब की ओर से दी गई मदद पर पाकिस्तान में विवाद खड़ा हो गया है। खाड़ी के इस देश ने मानवीय सहायता एवं राहत के रूप में पाकिस्तान को चावल की 19,032 बोरियां (440 टन) देने की घोषणा की है। जकात अल फितर प्रोजेक्ट के तहत मिलने वाले इस चावल को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में गरीब लोगों के बीच वितरित किया जाएगा। सऊदी अरब की इस जकात पर पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियों और सोशल मीडिया पर लोगों ने इमरान खान सरकार की खिंचाई की है।
पाक में 118 मानवीय परियोजनाएं शुरू करेगा सऊदी
माना जा रहा है कि इमरान की इस यात्रा से पिछले कुछ महीनों में सऊदी अरब के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट को दूर करने में मदद मिली है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधारने और खाद्य संकट एवं महंगाई का सामने कर रही इमरान सरकार के लिए सऊदी अरब ने राहत भरी घोषणाएं कीं। सऊदी ने कहा है कि वह पाकिस्तान में 123 मिलियन डॉलर की लागत वाली 118 मानवीय परियोजनाएं शुरू करेगा। ये परियोजनाएं सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और जल से जुड़ी होंगी। द किंग सलमान ह्यूमैनिटेरियन एड एंड रिलीफ सेंटर के सुपरवाइजर जनरल डॉ. अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज अल रबीह ने कहा कि यह मदद कोरोनो महामारी के संकट को देखते हुए दी गई है।
विपक्ष के निशाने पर आए इमरान
खासतौर से सऊदी अरब से जकात के रूप में चावल की 19,000 बोरियां मिलने पर इमरान सरकार विपक्ष और लोगों के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि सऊदी अरब से जकात के रूप में पाकिस्तान को चावल की 19,000 बोरियों को छोड़कर कुछ भी नहीं मिला है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा, 'सऊदी अरब से जकात के रूप में मिली चावल की बोरियों की कीमत इमरान खान और उनके दर्जन भर दोस्तों एवं मंत्रियों की यात्रा पर हुए खर्च से कम है।' पीपीपी के अध्यक्ष ने कहा, '22 साल के संघर्ष के बाद इमरान खान क्या इसलिए पीएम बने कि एक परमाणु संपन्न देश को खैरात में चावल की बोरियां मिलें।'
सोशल मीडिया में इमरान खान पर तंज
अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने अपने एक ट्वीट में कहा कि हाल के कुछ वर्षों तक चावल का निर्यात करने वाले पाकिस्तान को सऊदी अरब से 440 टन चावल की बोरियां लेने की जरूरत क्यों पड़ी? सऊदी की इस दरियादिली का स्वागत है लेकिन घर की नाकामी पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है।
डॉ. कैसर बंगाल नाम के यूजर ने लिखा, 'काशकोल (टीवी सीरियल) के बाद गरीबी दूर करने और विकास के नाम पर हमने वाशिंगटन, रियाद, दुबई, बीजिंग के सामने घुटने टेके। अब हम सऊदी अरब से पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के गरीब परिवारों में चावल के बोरे बांटने के लिए कह रहे हैं। रावलपिंडी और इस्लामाबाद में कोई शर्म बची है कि नहीं।'
मुसलमानों के हालात पर हुई चर्चा
इमरान की इस यात्रा के दौरान ओआईसी देशों में मुसलमानों की स्थिति और मुसलमानों के खिलाफ भय, घृणा एवं पूर्वाग्रह समेत ओआईसी एजेंडे में शामिल मामलों पर चर्चा हुई। साथ ही खान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच शिखर बैठक में आर्थिक एवं व्यापार संबंधों को बढ़ाने और कट्टरवाद के कारण पैदा होने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई।