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विशेष रिपोर्ट: म्यांमार में तख्तापलट को डॉक्टरों की चुनौती

Updated Feb 02, 2021 | 23:32 IST | उदय चंद्र सिंह

सविनय अवज्ञा अभियान सैन्य शासन के लिए एक बड़ी राजनीतिक परीक्षा साबित हो सकती है। हालांकि तख्तापलट के बाद म्यांमार की राष्ट्रीय सेना तातमादाव कह चुकी है कि वह म्यांमार पर एक साल तक शासन करेगी।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
म्यांमार में तख्तापलट
मुख्य बातें
  • कोरोना काल में सैन्य शासन के लिए बड़ी राजनीतिक परीक्षा
  • कई डॉक्टरों ने सैन्य शासन का विरोध किया है
  • तख्तापलट के खिलाफ बनाए गए फेसबुक पेज से लोग जुड़ रहे हैं

म्यांमार में तख्तापलट के बाद सैनिक सरकार के खिलाफ विरोध के सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। म्यांमार के कई प्रमुख अस्पतालों के कर्मचारियों ने 3 फरवरी से सैन्य शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर सैन्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला किया है। यंगून के नेय पी तव समेत अन्य शहरों के अस्पतालों के डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि वे सैन्य तख्तापलट के विरोध में अनिश्चितकाल के लिए काम बंद करने की योजना बना रहे हैं। चिकित्साकर्मियों ने यह फैसला नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के उस आह्वान के बाद किया है जिसमें म्यंमार के लोगों से शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा अभियान चलाने की अपील की गई है। फैसला नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने म्यांमार के कमांडर-इन-चीफ के सत्ता पर काबिज गोने को संविधान के खिलाफ करार दिया है।

तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का आह्वान

सविनय अवज्ञा अभियान सैन्य शासन के लिए एक बड़ी राजनीतिक परीक्षा साबित हो सकती है। हालांकि तख्तापलट के बाद म्यांमार की राष्ट्रीय सेना तातमादाव कह चुकी है कि वह म्यांमार पर एक साल तक शासन करेगी। इसके लिए तातमादाव ने 2008 के संविधान में एक आपातकालीन प्रावधान का हवाला दिया है। म्यांमार में तख्तापलट करने वालों की दलील है कि हाल के चुनावों में भारी गड़बड़ी की शिकायतों के प्रमाणित होने के बाद ही सेना ने अपने हाथ में सत्ता ली है और उसमें कुछ भी गलत नहीं है। हालांकि फैसला नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के संरक्षक यू विन हेटिन ने इन दलीलों को खारिज करते हुए सैन्य सरकार के खिलाफ अहिंसक तरीके से अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया है। इसके साथ ही स्टेट काउंसलर आंग सान सू की का एक पत्र भी सामने आया है, जिसमें लोगों से बेखौफ होकर तख्तापलट का विरोध करने का कहा गया है। यह पत्र आंग सान सू के फेसबुक पोस्ट के जरिए सामने आया है।

काम बंद करने पर बनी सहमति

इस बीच तख्तापलट के खिलाफ बनाए गए एक फेसबुक पेज पर एक लाख से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। इस बीच देशभर के सरकारी चिकित्सा कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की अपनी योजना की घोषणा करते हुए  तख्तापलट के खिलाफ एकजुट होना शुरू कर दिया है। अब तक करीब 40 अस्पतालों के कर्मचारियों ने बुधवार से काम बंद करने पर अपनी सहमति जता दी है। इन लोगों को अन्य चिकित्सा संस्थानों, खाद्य एवं औषधि प्रशासन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं से जुड़े कर्मचारियों का भी समर्थन हासिल होता दिख रहा है। ऐसे समय में जब दुनिया कोविड जैसे संकट से जूझ रही है, चिकित्सा कर्मचारियों का सविनय अवज्ञा आंदोलन सैन्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। 

विरोध में कुछ लोग इस्तीफा दे रहे हैं

1000 बेड के ना पिए ताव जनरल अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि सहायक सर्जनों ने सविनय अवज्ञा अभियान को लेकर एक बैठक कर अपनी रणनीति तय की है। उन्होंने कहा, 'नाय पाइ ताव में लगभग 100 सहायक सर्जन हैं और इनके बिना अस्पताल चलाना संभव नहीं है। नर्स भी अभियान में शामिल होंगी। मुझे अभी तक नहीं पता है कि विशेषज्ञ शामिल होंगे या नहीं, लेकिन मैंने सुना है कि कुछ लोग इस्तीफा दे रहे हैं।' इसी तरह प्यादे, बागो क्षेत्र के 500 बिस्तरों वाले सामान्य अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि इस अभियान में सहायक सर्जन भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि अगर हम काम पर नहीं जाते हैं तो मरीजों को परेशानी होगी लेकिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने विरोध करने का फैसला किया क्योंकि चिकित्सा समुदाय यहां एक बड़ी ताकत हैं और लोग हमें उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। हम सभी अन्य सरकारी कर्मचारियों और विभागों के लिए एक उदाहरण बनना चाहते हैं।
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सैन्य सरकार ने बताई अपनी प्राथमिकता

इसी तरह यंगून में यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में डॉक्टर और लेक्चरर डॉ. क्यू क्यू थिन ने कहा कि तख्तापलट के प्रति असंतोष दिखाने के लिए दर्जनों व्याख्याताओं ने भी हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। हमारी एक सरकार थी जिसे हमने चुना था लेकिन सेना हमारी सरकार को सत्ता से दूर रख रही है। ऐसे में हमारे लिए तख्तापलट का विरोध जरूरी है। तख्तापलट के तहत सभी राज्य शक्तियों को संभालने वाले वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग के नाम पर जारी एक बयान में कहा गया है कि नई सैन्य सरकार शांति प्रक्रिया को हल करने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ कोविड -19 महामारी से निपटने को प्राथमिकता देगी। नए सिरे से चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों के बिना महामारी को संबोधित करना मुश्किल होगा, हालांकि तातमाडॉ में एक बड़ी चिकित्सा वाहिनी और सैन्य अस्पतालों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क है।