- म्यामां में सोमवार को हुआ था सैन्य तख्तापलट, आंग सान सू ची को हिरासत में लिया गया
- सेना प्रमुख जनरल मिन आंग लाइंग ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लिया
- पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं सेना प्रमुख जनरल मिन आंग लाइंग
नेपीता: म्यांमार में सेना ने सोमवार को तख्तापलट कर दिया और शीर्ष नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत को हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया। इस तख्तापलट को अंजाम देने वाले सेना प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने अप देश की सत्ता की कमान को अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने तख्तापलट करने के कुछ घंटे बाद ही बयान जारी करते हुए कहा कि अभ विधायिका, प्रशासन तथा न्यायपालिका का जिम्मा लाइंग के हाथों में रहेगा।
म्यांमार में सेना को स्थानीय रूप से तातमाडव के रूप में जाना जाता है जिसे राष्ट्रवादी बौद्ध भिक्षुओं का संरक्षण प्राप्त है और इनमें से कई ने रोहिंग्याओं की जातीय सफाई का पुरजोर समर्थन किया था। मिलिट्री के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग हाइंग उस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आ गए थे जब उन्होंने म्यांमार के राखाइन प्रांत से रोहिंग्याओं को निशाने पर लेते हुए देश निकाला कर दिया था।
मिन आंग लाइंग कौन है?
मिन आंग लाइंग ने अपने सेना के अधिकांश कार्यकाल के दौरान म्यांमार की पूर्वी सीमा पर विद्रोहियों से लड़ने में बिताया जहां जातीय अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार से संबंधित संघर्ष आम था। 2015 में, आंग सान सू की की म्यांमार सरकार में अहम भूमिका निभाने से पहले उन्होंने बीबीसी को बताया कि यहां नागरिक शासन के लिए कोई निश्चित समयरेखा नहीं होगी। उन्होंने कहा था, 'यह पाँच साल हो सकता है या यह 10 साल हो सकता है, मैं कह नहीं सकता।'
रॉयटर्स के मुताबिक लाइंग पूर्व सहपाठी ने बताया कि, मिन आंग लाइंग एक शानदार कैडेट थे, जिन्होंने अपने तीसरे प्रयास में देश की प्रतिष्ठित रक्षा सेवा अकादमी (डीएसए) में भर्ती परीक्षा पास की, लेकिन उन्हें हमेशा अपने सहपाठियों की तुलना में धीमी गति से पदोन्नत किया गया था। पूर्व सहपाठी ने रॉयटर्स को बताया, 'उन्हें नियमित और धीरे-धीरे पदोन्नत किया गया।'
उनके फेसबुक अकाउंट पर विदेशी गणमान्य लोगों से मिलने और शुभकामनाएं देने वाली उनकी सैकड़ों तस्वीरें हैं और रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा में उनकी भूमिका को लेकर फेसबुक ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था।
कितना शक्तिशाली हैं?
लाइंग की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह कमांडर-इन-चीफ तीन होने के नाते महत्वपूर्ण मंत्रालयों - रक्षा, सीमा मामलों और घरेलू मामलों के लिए मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं। जबकि सू की के हाथ में केवल नागरिक प्रशासन में कानून बनाने की शक्ति है। सेना के लिए संसद की एक-चौथाई सीटें आरक्षित हैं और सरकार में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और सीमा मामलों के मंत्री की भी नियुक्ति सेना प्रमुख ही करता है। सेना प्रमुख किसी भी संवैधानिक बदलाव पर वीटो करने का अधिकार रखने के अलावा किसी भी चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करने की ताकत रखता है।
म्यांमार में सेना प्रमुख के पास 25% संसदीय सीटों पर यानिए एक चौथाई सीटें नियुक्त करने की अधिकार है। संविधान ने सू की को राष्ट्रपति बनने से मना कर दिया क्योंकि उनके ब्रिटिश पति के साथ बच्चे थे, जो विदेशी नागरिक हैं।