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रूस के मुद्दे पर चीन और भारत UNSC में वोटिंग से रहे दूर, जानें- एक दूसरे से अलग कैसे

Updated Feb 26, 2022 | 09:22 IST

यूएनएससी में रूस के खिलाफ वोटिंग प्रक्रिया से भारत और चीन ने एक दूसरे को दूर रखा। लेकिन दोनों को वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहने का मतलब क्या है इसे समझने की कोशिश करते हैं।

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रूस के मुद्दे पर चीन और भारत UNSC में वोटिंग से रहे दूर, जानें- एक दूसरे से अलग कैसे
मुख्य बातें
  • यूएनएसी में रूस के खिलाफ 11 वोट पड़े
  • रूस ने प्रस्ताव के खिलाफ वीटो लगाया
  • भारत और चीन वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहे

यूक्रेन के खिलाफ रूसी जंग का तीसरा दिन है। इन सबके बीच यूएन सुरक्षा परिषद में बैठक के बाद मतदान हुआ। 11 देशों ने रुस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया हालांति रूस ने वीटो लगा दिया, जबकि भारत और चीन ने अपने आपको मतदान की प्रक्रिया से बाहर रखा। भारत ने खुद को वोटिंग प्रक्रिया से दूर रखा। लेकिन कहा कि युद्ध किसी विवाद का समाधान नहीं हो सकता है। अब सवाल यह है कि भारत और चीन दोनों मतदान प्रक्रिया से बाहर रहे। लेकिन यह एक दूसरे से अलग कैसे है।

भारत का नजरिया
यूएनएसी में भारत वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बना। लेकिन भारत की तरफ से क्या कुछ कहा गया है उसे समझना जरूरी है। भारत ने सभी सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का सम्मान करने का आह्वान किया, क्योंकि ये आगे एक रचनात्मक रास्ता प्रदान करते हैं। भारतीय समुदाय, विशेष रूप से फंसे हुए छात्रों की सुरक्षा, यूक्रेन से उनकी निकासी तत्काल प्राथमिकता है।यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है। हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं। मानव जीवन की कीमत पर कभी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है:

चीन का नजरिया
चीन ने भी वोट से परहेज किया है, लेकिन भारत और बीजिंग द्वारा वोट की व्याख्या के बीच एक तीव्र अंतर है। दोनों ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए यूक्रेन का समर्थन किया है, लेकिन चीन ने वस्तुतः रूसी कार्रवाई का बचाव किया है।राजदूत झांग जून द्वारा दिए गए चीनी स्पष्टीकरण में कहा गया कि हम मानते हैं कि एक देश की सुरक्षा दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती है, और क्षेत्रीय सुरक्षा को सैन्य ब्लॉकों को बढ़ाने या यहां तक ​​​​कि विस्तार करने पर भरोसा नहीं करना चाहिए। सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। नाटो के पूर्व की ओर विस्तार के लगातार पांच दौर की पृष्ठभूमि के खिलाफ, रूस की वैध सुरक्षा आकांक्षाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए और ठीक से संबोधित किया जाना चाहिए।

'रूस के खिलाफ झुकेंगे नहीं'
जबकि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष रूसी आक्रमण की वैश्विक निंदा सुनिश्चित करने के लिए इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की उम्मीद है तो यूक्रेन की राजधानी में लाल सेना के बढ़ने के साथ कीव में स्थिति प्रति घंटे विकट होती जा रही है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि पश्चिमी देशों की तरफ से मदद की रफ्तार धीमी है। लेकिन रूस के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी, हालांकि वो चाहते हैं कि विवाद का सार्थक समाधान शांतिपूर्ण तरीके से हो।

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