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पाकिस्‍तान के PM इमरान खान को 'अपनों' से ही खतरा, सियासी परीक्षा में होंगे पास या फेल?

Updated Mar 20, 2022 | 22:08 IST

इमरान खान ने पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री के तौर पर 2018 में सत्‍ता संभाली है, जिसके बाद से यह उनकी सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा मानी जा रही है। विपक्ष ने जहां उनके खिलाफ संसद में अविश्‍वास प्रास्‍ताव लाने की पूरी तैयारी कर रखी है, वहीं उनकी अपनी पार्टी के कई सांसद भी बागी हो गए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
पाकिस्‍तान के PM इमरान खान को 'अपनों' से ही खतरा, सियासी परीक्षा में होंगे पास या फेल?

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नेशनल असेम्बली की बैठक शुक्रवार को आहूत की जाएगी। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से इमरान की यह सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा होगी। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 25 मार्च (शुक्रवार) को सदन का सत्र बुलाने की रविवार को घोषणा की।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेम्बली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान नीत पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है। नेशनल असेम्बली सचिवालय ने रविवार को अधिसूचना जारी कर अहम सत्र को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी।

25 मार्च को अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर विचार

विपक्ष ने कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार 21 मार्च तक सत्र बुलाने की मांग की थी। अधिसूचना के अनुसार, 'सत्र शुक्रवार को सुबह 11 बजे शुरू होगा और यह मौजूदा नेशनल असेम्बली का 41 वां सत्र होगा।' अध्यक्ष ने पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 54 (3) और 254 के तहत प्रदत्त शक्ति के तहत सत्र बुलाया है। विपक्ष का कहना है कि 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री शेख राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विशेष परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है। इस मामले में देरी 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बहुचर्चित 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है।

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विपक्ष ने शुरू में धमकी दी थी कि यदि सत्र समय पर आहूत नहीं किया गया तो वह धरना प्रदर्शन करेगा। हालांकि बाद में संयुक्त विपक्ष ने यह कहते हुए अपने रुख में नरमी दिखाई थी कि पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के कारण (ओआईसी के) कार्यक्रम को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। संसद का निचला सदन प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को विचार करेगा। अगर इस प्रस्ताव को सदन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेता है तो तीन से सात दिनों के बीच मतदान कराया जाना चाहिए।

इमरान खान की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा

सरकार और विपक्ष दोनों स्थिति को अपने-अपने अनुकूल बनाने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं। 69 वर्षीय इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल पाला बदलने का फैसला करते हैं तो उन्हें हटना पड़ सकता है। क्रिकेट से राजनीति में आए खान को हटाने के लिए विपक्ष को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत है। इमरान की पार्टी के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। उनकी पार्टी बहुमत के लिए कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन ले रही है।

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प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले सत्तारूढ पार्टी के करीब 24 बागी सांसद खुलकर विरोध में उतर आए हैं, जबकि सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं। इस बीच, इमरान खान ने अपनी पार्टी के बागी सांसदों से कहा है कि यदि पार्टी में वापस आ जाते हैं तो वह उन्हें माफ करने को तैयार हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जो बागी सांसद उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं उन्हें 'सामाजिक बहिष्कार' का सामना करने को तैयार रहना चाहिए। इमरान खान ने हालिया स्थिति को लेकर कोर ग्रुप से सम्पर्क किया है। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा।