यरुशलम : इजराइल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर रविवार को नफ्ताली बेनेट ने शपथ ले ली। पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कभी बेहद करीबी रहे बेनेट ने उनकी गलत नीतियों का विरोध कर आज यह मकाम हासिल किया है। पीएम बनने के बाद दुनियाभर से उन्हें बधाइयों का तांता लगा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इजरायल के नए नेतृत्व को सोमवार को बधाई दी और आपसी साझेदारी मजबूत करने पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'इजराइल का प्रधानमंत्री बनने पर नफ्ताली बेनेट को बधाइयां। हम अगले साल अपने कूटनीतिक संबंधों के उन्नयन के 30 साल पूरे कर रहे हैं और इस अवसर पर मैं आपसे मुलाकात करने तथा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत करने के लिए उत्सुक हूं।' उन्होंने 'सफल' कार्यकाल के लिए पूर्व पीएम नेतन्याहू की सराहना की और भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी पर निजी तौर पर ध्यान देने के लिए उनके नेतृत्व के प्रति आभार जताया।
अलग-अलग विचारधारा की पार्टियां आईं साथ
बेनेट ने रविवार को इजराइल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही 12 साल से प्रधानमंत्री पद पर काबिज बेंजामिन नेतन्याहू का कार्यकाल खत्म हो गया। इजराइल की 120 सदस्यीय संसद 'नेसेट' में नई सरकार पर हुए मतदान में 60 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 59 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया। इस दौरान एक सदस्य अनुपस्थित रहा। नई सरकार में 27 मंत्री हैं जिनमें से नौ महिलाएं हैं।
नयी सरकार के लिए अलग-अलग विचारधारा के दलों ने गठबंधन किया है। इनमें दक्षिणपंथी, वाम, मध्यमार्गी के साथ अरब समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एक पार्टी भी है। येश एतिद पार्टी के मिकी लेवी को संसद का स्पीकर चुना गया। उनके पक्ष में 67 सदस्यों ने मतदान किया।
कौन हैं नफ्ताली बेनेट?
बेनेट एक धर्मपरायण यहूदी हैं जिन्होंने विशेषकर धर्मनिरपेक्ष हाई-टेक क्षेत्र से लाखों कमाये हैं। पुनर्वास आंदोलन के अगुआ रहे बेनेट तेल अवीव उपनगर में रहते हैं। वह बेंजामिन नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी रहे हैं। नेतन्याहू के 12 साल के शासन को खत्म करने के लिए बेनेट ने मध्य और वाम धड़े के दलों से हाथ मिलाया है।
उनकी घोर राष्ट्रवादी यामिना पार्टी ने मार्च में हुए चुनाव में 120 सदस्यीय नेसेट (इजराइल की संसद) में महज सात सीटें जीती थीं। लेकिन उन्होंने नेतन्याहू या अपने विरोधियों के आगे घुटने नहीं टेके और 'किंगमेकर' बन कर उभरे। अपनी धार्मिक राष्ट्रवादी पार्टी से एक सदस्य के पार्टी छोड़ने के बावजूद आज सत्ता का ताज उनके सिर पर है।
बेनेट लंबे समय तक नेतन्याहू का दाहिना हाथ रहे। लेकिन वह उनके गठबंधन के तौर तरीकों से नाखुश थे। संसद में कम बहुमत के बावजूद वह दक्षिणपंथी, वामपंथी और मध्यमार्गी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में सफल रहे और इस वजह से आगे उनके लिए रास्ता आसान नहीं होगा।
फिलीस्तीन पर रुख
बेनेट फलस्तीनी स्वतंत्रता के विरोधी हैं और वह कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में यहूदी बस्तियों के घोर समर्थक हैं जिसे फलस्तीनी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई देश शांति की प्रक्रिया में बड़ा अवरोधक मानते हैं।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के दबाव में आकर बस्तियों के निर्माण कार्य को धीमा करने के नेतन्याहू के कदम का बेनेट ने जबरदस्त विरोध किया था। हालांकि अपने पहले कार्यकाल में ओबामा शांति प्रक्रिया बहाल करने में नाकाम रहे थे।
इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के प्रमुख योहानन प्लेज्नर ने कहा, 'वह एक दक्षिणपंथी नेता हैं, सुरक्षा को लेकर सख्त हैं, लेकिन वह एक व्यवहारिक सोच रखने वाले नेता हैं।'