लाइव टीवी

Pulwama: आखिर सच जुबां पर आ ही गया, पाक संसद में मंत्री का कबूलनामा, देखें [VIDEO]

Updated Oct 29, 2020 | 17:58 IST

पाकिस्तान की बौखलाहट इस बात से समझी जा सकती है कि वो पुलवामा को अपनी कामयाबी बताता है तो क्या इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान उस आतंकी वारदात में सीधे तौर पर शामिल था।

Loading ...
पुलवामा आतंकी हमले को पाकिस्तान ने बताया अपनी कामयाबी
मुख्य बातें
  • पाक संसद में मंत्री फवाद चौधरी का कबूलनामा, पुलवामा आतंकी हमले को बताया पाकिस्तान की कामयाबी
  • 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर किया था हमला
  • पुलवामा आतंकी हमले का जवाब बालाकोट एयरस्ट्राइक के जरिए दिया गया था

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इस समय विपक्षी दल इमरान खान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इमरान सरकार को पाकिस्तान की बदहाली और गुरबत के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है इसके साथ ही भारत के साथ किस तरह से पाकिस्तान की विदेश नीति काम कर रही है वो भी निशाने पर है। पाकिस्तान की संसद में विपक्षी सांसद अयाज सादिक ने विंग कमांडर अभिनंदन का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से आर्मी चीफ डरे हुए थे उनके माथे पर पसीना था, यही नहीं विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अगर अभिनंदन को छोड़ा नहीं गया तो भारत हमला कर देगा। लेकिन इस विषय पर इमरान सरकार ने संसद में जो तकरीर की उसे सुनकर आप हंस पड़ेगे। 

फवाद चौधरी का कबूलनामा
फवाद चौधरी  नेतो पहले अयाज सादिक की लानत मलानत की। लेकिन पुलवामा को उन्होंने कामयाबी बताया। वो कहते हैं कि पुलवामा के बाद जिस तरह से हमने घुसकर हिंदुस्तान को मारा वो हमारी कामयाबी है। जहां तक अयाज सादिक की बात है वो पाकिस्तान सरकार या पार्टी की मुखालफत कर सकते हैं। लेकिर देश के नाम पर सियासत नहीं कर सकते हैं, वो तो इस तरह से झूठ बोलते हैं कि झूठ भी शर्मा जाए। वो कहते हैं कि शाह महमूद कुरैशी के पांव कांप रहे थे। यह एक ऐसा बयान है कि जिस पर कोई भरोसा नहीं कर सकता है। 

14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुआ था टेरर अटैक
14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक करते हुए आतंकी लॉन्चपैड को तबाह किया था।एयर स्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकवादी, ट्रेनर और सीनियर कमांडर मारे गए। इस कैंप को मसूद अजहर का साला मौलाना युसूफ अजहर संचालित कर रहा था।