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चीन में मानव तस्करी का काला सच

Updated May 16, 2022 | 15:04 IST

चीन के अथाह मानव सागर से हर मिनट 2 व्यक्ति अगवा किये जाते हैं। लेकिन चीनी मीडिया में ये खबर चीन सरकार की तारीफ़ के पुल बांधते हुए छापी गई थी क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में ये संख्या बहुत कम थी। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में 39 लाख 40 हज़ार लोग गायब हुए थे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
चीन में मानव तस्करी का नेटवर्क काफी बड़ा है।

पंकज श्रीवास्तव। चीन में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर वहां की पुलिस, खुफ़िया तंत्र, सामाजिक खुफ़िया तंत्र, जगह-जगह लगे टीवी कैमरे और उन कैमरों की लगातार तीन शिफ्टों में होती निगरानी ये बताने के लिये काफ़ी है कि चीन का अंदरुनी सुरक्षा तंत्र कितना मज़बूत है। दुनिया भर में जितने भी सर्विलांस कैमरे लगे हैं उनमें सबसे अधिक चीन में लगे हैं, एक आंकड़े के अनुसार पूरे चीन में 20 करोड़ कैमरे लगे हैं। ब्रिटिश टेक्नालॉजी रिसर्च वेबसाइट कॉम्पैरिटेक के अनुसार चीन में लगे कैमरों की संख्या इतनी अधिक है कि औसतन हर दो व्यक्तियों के लिये एक सीसीटीवी कैमरा लगा है।

लेकिन चीन में इतनी सुरक्षा के बाद भी वहां से लोगों के अगवा करने की खबरें आती रहती हैं। चीन में एक पूरा तंत्र है जो महिलाओं, बच्चों जिनमें खासकर लड़कियां होती हैं और अबोध बच्चे जिनमें लड़के भी शामिल होते हैं, इनका अपहरण किया जाता है। अगवा की गई इन लड़कियों को शादी योग्य लड़कों को बेच दिया जाता है या फिर वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। छोटी लड़कियों को भी ऐसे लोगों को बेचा जाता है जो अपने लड़कों के लिये शादी लायक लड़की ढूंढते हैं, लड़कों को भी ऐसे परिवारों को बेचा जाता है जिनके बच्चे नहीं होते। अगवा किये गए इन लोगों को अक्सर शहरों से उठाकर दूर दराज़ के गांवों और छोटे शहरों में बेचा जाता है जहां से इनका पता लगना बहुत मुश्किल होता है।
 
अगर पुलिस चाहे तो अपने खुफिया तंत्र और जगह जगह लगे इन टीवी कैमरों के ज़रिये हर खोए या अगवा किये गए व्यक्ति को ढूंढ सकती है। लेकिन सच यही है कि चीन में लगे इन टीवी कैमरों के बावजूद, सख्त पुलिस और खुफिया तंत्र के बावजूद खोए हुए लोग नहीं मिलते। 25 फ़रवरी 2021 को चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय और सामाजिक सहयोग इंस्टीट्यूट ने एक साथ मिलकर वर्ष 2020 के चीन में गुमशुदा लोगों पर एक श्वेत पत्र जारी किया, इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में औसतन रोज़ाना 2739 लोग गायब हुए और पूरे वर्ष में 10 लाख लोग गायब हुए। 

चीन के अथाह मानव सागर से हर मिनट 2 व्यक्ति अगवा किये जाते हैं। लेकिन चीनी मीडिया में ये खबर चीन सरकार की तारीफ़ के पुल बांधते हुए छापी गई थी क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में ये संख्या बहुत कम थी। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में 39 लाख 40 हज़ार लोग गायब हुए थे या अगवा किये गए थे वहीं वर्ष 2017 में 26 लाख लोग गायब हुए थे, और वर्ष 2020 की ये संख्या पहले की तुलना में बहुत कम है। चीन में गायब होने वाले लोगों की बड़ी संख्या या तो अगवा हुए लोगों की होती है या फिर जाल बिछाकर उन्हें गायब किया जाता है और आपराधिक मामलों के कारण लोग गायब होते हैं या अगवा किये जाते हैं।
 
चीन में अगवा हुए लोगों के बारे में वर्ष 2019 में जारी एक अमेरिकी सरकारी रिपोर्ट कहती है कि मानव तस्करी में चीन का रिकॉर्ड बहुत खराब है, चीन के साथ ईरान, उत्तर कोरिया, रूस, सीरिया और वेनेज़ुएला सबसे खतरनाक श्रेणी वाले देश हैं। इस मामले में चीन लीबिया, सोमालिया और यमन से ऊपर है। फ़रवरी 2022 में जंज़ीरों में जकड़ी 8 बच्चों की मां, एक चीनी महिला का वीडियो सोशल मीडिया में जारी हुआ था जिसने चीन के अलग अलग सामाजिक हलकों में दहशत फैला दी थी, पुलिस की छानबीन के बाद पता चला कि ली यांग नाम की इस महिला का अपहरण 12 वर्ष की उम्र में किया गया था और इसे एक बच्चे पैदा करने वाली मशीन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। चीन इस तरह के मामलों से भरा पड़ा है, जितने मामले सामने आते हैं जानकारों की राय में वो सभी चीन की असली तस्वीर का ट्रेलर मात्र हैं।

चीन के लोक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आंकड़े के अनुसार 16 फ़रवरी वर्ष 2015 में छपे लीगल डेली में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2014 में अगवा की गई 30 हज़ार महिलाओं को अपहर्ताओं के चंगुल से आज़ाद कराया गया था। ये खबर चीन स रकार ने अपनी तारीफ़ में छापा था, इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जब चीन के सरकारी मीडिया में इतने मामले सामने आ रहे हैं तो असल में इनकी संख्या कितनी होगी क्योंकि चीन सरकार कभी सही आंकड़े दुनिया के सामने नहीं लाती है। चीन में ये बात जानने का कोई ज़रिया नहीं है कि असल में कितनी महिलाओं को अगवा किया गया था।

चीनी मीडिया में छपी खबरों के अनुसार यहां पर जितनी भी महिलाओं को अपहृत किया जाता है उन्हें दूर दराज़ के ग्रामीण अंचलों में गरीब इलाकों में बेचा जाता है जहां पर पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में कहीं अधिक है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा पिछले 30 वर्षों से एक बच्चे की नीति के कारण समाज में महिला और पुरुषों के बीच असंतुलन बना, पुरुष प्रधान चीनी समाज में खेती और मज़दूरी के लिये लोग पुरुष बच्चों को ही स्वीकार करते हैं। महिला भ्रूण मां के गर्भ में पलने की हालत में गर्भपात करा दिया जाता है।

हालांकि वर्ष 2016 में चीन ने एक बच्चे की नीति को बदल कर हर दंपत्ति को दो बच्चे पैदा करने की छूट दी है लेकिन इन दिनों आम चीनी लोग एक बच्चे के पालन पोषण और शिक्षा का खर्च मुश्किल से उठा पाते हैं, सरकार द्वारा दो बच्चे की नीति के बावजूद वो दूसरा बच्चा नहीं चाहते। ऐसे में चीनी समाज में ज्यादा बदलाव नहीं दिखने वाला। चीन में महिला के अपहरण को गंभीर अपराध में गिना जाता है लेकिन प्रशासन इस मामले में कुछ करता नहीं दिखता क्योंकि चीन में एक बड़ी संख्या ऐसे पुरुष हैं जिनके पास शादी के लिये कोई लड़की नहीं है और अगर चीन सरकार महिलाओं के अपहरण को रोकती है और ये महिलाएं इन एकल पुरुषों  के पास नहीं पहुंच पातीं तो फिर बड़ी संख्या में ऐसे पुरुष चीनी सत्ता के लिये खतरा साबित होंगे। अगर कोई अपहृत महिला जो ऐसे पुरुषों के पास बेची जाती है भागने की कोशिश करे तो उसे बुरी तरह से यातनाएँ दी जाती हैं और दुनिया के सामने जंजीरों में बंधी महिला की तस्वीर सामने आती है।

(लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो चीन में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। ये लेखक के निजी विचार हैं, टाइम्स नाउ नवभारत इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता।)