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यूक्रेन में 15 एक्टिव न्यूक्लियर रिएक्टर, युद्ध से बढ़ा खतरा, चेर्नोबिल में 35 साल पहले हो चुका है बड़ा हादसा

Updated Feb 25, 2022 | 17:36 IST

Russia-Ukraine War : रूस जिस तरह से यूक्रेन में बढ़ता चला जा रहा है। उससे यूक्रेन में मौजूद न्यूक्लियर रिएक्टर की सुरक्षा को लेकर भी जोखिम बढ़ गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
यूक्रेन में भारी तबाही
मुख्य बातें
  • यूक्रेन के 15 एक्टिव न्यूक्लियर रिएक्टर से उसकी 50 फीसदी बिजली की आपूर्ति होती है।
  • 1986 में चेर्नोबिल हादसे के बाद प्रिपयेत शहर पूरी तरह तबाह हो गया था। इसलिए इसे मरा हुआ शहर भी कहा जाता है।
  • युद्ध में चेर्नोबिल जैसी लापरवाही लाखों लोगों की जान जोखिम में डाल सकती है।

Russia-Ukraine War :रूस और  यूक्रेन के बीच दूसरी दिन की लड़ाई निर्णायक दौर में आ गई है। खबरें है कि रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव में पहुंच गई है। इस बीच रूस ने कहा है कि अगर यूक्रेन की सेना सरेंडर कर देती है तो बातचीत की जा सकती है। कीव पहुंचने से रूस की सेना ने चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट को भी कब्जे में कर लिया है।

अप्रैल 1986 में इस प्लांट में सुरक्षा खामियों की वजह से एक बड़ा परमाणु हादसा हुआ था। जिसमें करीब 4000 हजार लोगों की मौत का अंदेशा जताया  गया था। इस हादसे के बाद प्रिपयेत शहर पूरी तरह से तबाह हो गया था। रूसी हमले में सबसे बड़ा खतरा यूक्रेन में मौजूद न्यूक्लियर प्लांट को लेकर है। जहां पर 15 रिएक्टर एक्टिव हैं। और इनसे यूक्रेन की 50 फीसदी बिजली की आपूर्ति होती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) भी ने मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए युद्ध के दौरान परमाणु रिएक्टर की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।

प्रिपयेत को कहा जाता है मरा हुआ शहर

असल में 1986 में चेर्नोबिल हादसे के बाद प्रिपयेत शहर पूरी तरह तबाह हो गया था। इसलिए इसे मरा हुआ शहर भी कहा जाता है। जहां पर  घर, स्कूल के  खेल के मैदान , फैक्ट्रियां उजड़ चुकी हैं। और कहा जाता है कि परमाणु विकिरण की वजह से अब यह शहर हजारों साल तक नहीं बस सकता है। असल में अप्रैल 1986 में चेर्नोबिल प्लांट के  चौथे रिएक्टर में खराब सुरक्षा परीक्षण के बाद एक बड़ा परमाणु हादसा हुआ था।  उस समय यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। हादसे के दौरान प्लांट की छत फट गई थी। लेकिन इस हादसे को छिपाने की कोशिश की गई। जिसकी वजह से करीब डेढ़ दिन बाद लोग शहर से बाहर निकल पाए। और पूरे शहर में परमाणु विकिरण फैल गया। और नतीजा यह हुआ कि एक जीत-जागता शहर मरे हुए शहर में तब्दील हो गया।

न्यूक्लियर प्लांट से 50 फीसदी बिजली

वर्ल्ड न्यूक्लियर न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के 15 एक्टिव न्यूक्लियर रिएक्टर से उसकी 50 फीसदी बिजली की आपूर्ति होती है। जो कि यूक्रेन के 4 शहरों में स्थित हैं। जिस तरह रूसी सेना ने बंद पड़े चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट को अपने कब्जे में ले लिया है। ऐसे में वह यूक्रेन के दूसरे न्यूक्लियर प्लांट को भी अपने कब्जे में ले सकती है। जिसके जरिए वह यूक्रेन की पॉवर सप्लाई को अपने कंट्रोल में ले सकती है। बढ़ते खतरे को देखते हुए कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने शुक्रवार को कहा हम यूक्रेन की स्थिति पर गंभीर चिंता के साथ नजर रख रहे हैं और देश की परमाणु सुविधाओं को खतरे में डालने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए अधिकतम संयम बरतने की हम अपील कर रहे हैं।

लोग मर रहे हैं, हमारा लक्ष्य बिजली मिलती रहे

फ्रांस के बाद यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा न्यूक्लीयर एनर्जी उत्पादन करने वाला देश है। ब्लूमर्ग के अनुसार इन रिएक्टरों को चलाने वाली यूक्रेन की कंपनी एनरगोएटम ने अपने वेबसाइट पर लिखा है कि रूस की सैन्य घुसपैठ के प्लांट का संचालन सामान्य है। यूक्रेन युद्ध में है, लोग मर रहे हैं, हमारे सैनिक वीरतापूर्वक दुश्मन के हमलों का  जवाब दे रहे  हैं। हमारा  लक्ष्य इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद बिजली आपूर्ति को  सुनिश्चित करना है। जाहिर है बिजली आपूर्ति के साथ-साथ, युद्ध की स्थित में इन न्यूक्लियर रिएक्टर की सुरक्षा भी बेहद अहम है। क्योंकि जरा सी लापरवाही लाखों लोगों की जान जोखिम में डाल सकती है।

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