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Ukraine Crisis: यूक्रेन सीमा पर यूं ही नहीं लिया गया सेना की तैनाती का फैसला, रूस के CDA ने बताई वजह

Updated Feb 18, 2022 | 12:05 IST

Ukraine Crisis News : रूस ने बताया है कि आखिरकार उसने यूक्रेन की सीमा पर अपनी डेढ़ लाख फौज की तैनाती क्यों की। रूस का कहना है कि पश्चिमी देश अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए रूस को एक शत्रु देश के रूप में पेश कर रहे हैं।

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यूक्रेन संकट पर रूस के सीडीए ने रखी अपनी बात।

Ukraine Crisis : यूक्रेन संकट काफी गंभीर हो गया है। बात गोलीबारी तक पहुंच गई है। रूस और यूक्रेन दोनों ने गोलीबारी के जरिए एक दूसरे को निशाना बनाने के आरोप लगाए हैं। अमेरिका ने भी कहा है कि उसके पास इस तरह के संकेत मिले हैं कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला करने वाला है। इस बीच, भारत में रूस के चार्ज ऑफ डिफेंस अफेयर्स रोमन बाबुशकिन ने टाइम्स नाउ नवभारत के साथ खास बातचीत की है। इस बातचीत में बाबुशकिन ने बताया है कि रूस ने आखिरकार यूक्रेन सीमा पर अपनी इतनी बड़ी फौज जमा क्यों की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट पर भारत ने जो रुख अपनाया है, मास्को उसका सम्मान करता है। भारत, रूस का करीबी दोस्त एवं रणनीतिक साझेदार बना रहेगा।

'आप देखिए ग्राउंड पर क्या हो रहा है'
यूक्रेन सीमा से रूसी सैनिकों की वापसी पर पश्चिमी देशों द्वारा संदेह जताने के सवाल पर सीडीए ने कहा कि आप, आइए और खुद देखिए कि ग्राउंड पर क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संकट पर फ्रांस, जर्मनी और अन्य देशों के साथ अलग-अलग स्तरों पर बातचीत चल रही है। रूसी की कुछ बुनियादी चिंताएं हैं जिनका समाधान होना चाहिए। बाबुशकिन ने यूक्रेन पर हुए साइबर हमले में रूस की किसी भूमिका से इंकार किया। पश्चिमी देश अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए रूस को एक शत्रु देश के रूप में पेश कर रहे हैं।   

...इसलिए तैनात करनी पड़ी यूक्रेन सीमा पर फौज
इस सवाल पर ऐसी कौन से हालात बन गए कि रूस को अपनी डेढ़ लाख फौज यूक्रेन सीमा पर तैनात करनी पड़ी, उन्होंने कहा, 'यह ऐसा विषय है जिस पर सभी पश्चिमी देश काफी ध्यान दे रहे हैं, खासकर जब तनाव की बात आ रही है तो रूस ने यूक्रेन के बार्डर पर अपने सैनिक तैनात करने का फैसला ऐसे ही नहीं लिया... बल्कि इसके पीछे कई ऐसे गंभीर मामले हैं जो पहले हो चुके हैं..और ये कदम हमने अपनी सुरक्षा के लिए उठाए हैं...और आपने वो सब देखा होगा जो कुछ साल में चल रहा है या कहें जो पिछले एक दशक से चल रहा है...NATO लगातार रूस से मिलिट्री और डिप्लोमेटिक स्तर पर बातचीत करने को मना कर रहा था...और दुर्भाग्यवश अब हमारे बीच बातचीत के लिए बहुत जगह नहीं बची थी...साथ ही इसके बावजूद भी NATO अपने विस्तार में लगा हुआ था...जबकि हमारे बीच पहले ही कुछ संधियां हो रखी हैं....साल 1997 में जब रूस और NATO के बीच में फाउंडेशन एक्ट का करार हुआ था...जिसके तहत NATO ने अपना विस्तार ना करने की बात कही थी।