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गर्भपात कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुखद गलती- जो बाइडेन

Updated Jun 25, 2022 | 07:52 IST

गर्भपात संबंधित कानून को खारिज किए जाने के बाद अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराश करने के साथ दुखद है।

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जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति
मुख्य बातें
  • गर्भपात पर संवैधानिक अधिकार के कानून को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने फैसले को दुखद करार दिया
  • अदालत के फैसले से अमेरिका 150 साल पीछे चला गया

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात संबंधित संवैधानिक संरक्षण के फैसले को शुक्रवार को पलट दिया। अदालत के इस फैसले का असर यह होगा कि आधे से अधिक राज्यों में गर्भपात कानून पर बैन लग जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयत तरीके से अदालत के इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दुखद गलती की है और इसका असर यह होगा कि अमेरिका 150 साल पीछे चला गया है। कोर्ट ने वो काम किया है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। संवैधानिक अधिकार को छीन लेना अमेरिकी नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने की तरह है। उनकी नजर में अदालत का फैसला अतिवादी विचार दुखद गलती का नतीजा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अमेरिका को दुनिया में बाहरी घोषित कर दिया है। बता दें कि अमेरिका में महिलाओं को प्रेग्नेंसी के 15 हफ्ते के बाद गर्भपात को संवैधानिक अधिकार दिया गया था। 

'सुप्रीम कोर्ट का फैसला अतिवादी'
जो बाइडेन ने कहा कि अदालत का फैसला अतिवादी और गलत रास्ते पर ले जाने वाला है, हालांकि इन सबके बीच उन्होंने गर्भपात कानून के समर्थकों से कहा कि वो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा कि गर्भपात के संबंध में जो फैसला आया है वो गे मैरिज अधिकारों और परिवार नियंत्रण वाले उपायों को प्रभावित करेगा। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 के फैसले से रिपब्लिकन समर्थिक मिसीसीपी कानून को मंजूरी दी जो 15 हफ्ते के बाद गर्भपात पर बैन की हिमायत करता है। 

रो बनाम वेड के फैसले को पलटा
ऐतिहासिक 1973 रो बनाम वेड शासन ने गर्भपात के लिए एक महिला के संवैधानिक अधिकार को मान्यता दी और इसे देश भर में वैध कर दिया, रिपब्लिकन और धार्मिक रूढ़िवादियों को एक महत्वपूर्ण जीत सौंप दी, जो प्रक्रिया को सीमित या प्रतिबंधित करना चाहते थे।प्रभाव परिवर्तनकारी होने का वादा करता है। गर्भपात के अधिकारों का समर्थन करने वाले एक शोध संगठन, गुट्टमाकर इंस्टीट्यूट के अनुसार, छब्बीस राज्य या तो लगभग सभी गर्भपात पर प्रतिबंध लगा देंगे या होने की संभावना है।