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पाकिस्तान में कबायली परिषद ने महिलाओं के पर्यटन स्थलों पर जाने से लगाई रोक, कहा- यह इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ

Updated Jul 17, 2022 | 23:21 IST

पाकिस्तान में एक कबायली परिषद जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन और मनोरंजन के वास्ते सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगा दी है और इसे अनैतिक और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
पाकिस्तानी कबायली परिषद जिरगा का अजीब फैसला (तस्वीर-istock)

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में एक कबायली परिषद जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन और मनोरंजन के वास्ते सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगा दी है और इसे अनैतिक और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। ‘डॉन न्यूज’ की खबर के अनुसार बाजौर कबायली जिले में अति-रूढ़िवादी सालारजई तहसील की जिरगा (कबायली परिषद) ने शनिवार को घोषणा की कि यदि सरकार ने रविवार तक इस निर्णय को लागू नहीं किया तो जिरगा सदस्य इसे लागू करने के लिए इसे अपने हाथ में लेंगे।

जिरगा का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) की स्थानीय इकाई द्वारा किया गया था, जो सत्तारूढ़ गठबंधन के मुख्य घटकों में से एक है। यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब विश्व आर्थिक मंच ने कुछ ही दिन पहले जारी अपनी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में पाकिस्तान को दुनिया के साथ-साथ क्षेत्र में लैंगिक समानता के मामले में दूसरे सबसे खराब देश का स्थान दिया था।

इस बैठक में सालारजई तहसील के विभिन्न कबायलियों के वरिष्ठों के अलावा, क्षेत्र के कई जेयूआई-एफ नेताओं और धार्मिक हस्तियों ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन जेयूआई-एफ जिला नेतृत्व द्वारा किया गया था। जेयूआई-एफ के जिला प्रमुख मौलाना अब्दुर रशीद और अन्य वक्ताओं ने शनिवार को सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिरगा का उद्देश्य ईद के दौरान उभरे कई मुद्दों पर चर्चा करना और उन्हें शांतिपूर्वक और सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करना था।

जिरगा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि यह गौर किया गया है कि पुरुषों के अलावा, कई स्थानीय महिलाएं अपने पति या अन्य रिश्तेदारों के साथ अथवा अकेले ही ईद की छुट्टियों के दौरान विभिन्न पर्यटन एवं पिकनिक स्थलों का दौरा करती हैं। जिरगा में दावा किया गया कि यह इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है।

वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन और मनोरंजन के लिए उक्त स्थानों पर महिलाओं का जाना पूरी तरह से अनैतिक और अस्वीकार्य है। उन्होंने दावा किया कि इस्लाम और स्थानीय परंपराओं, दोनों में इस तरह की गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है।