- 50 साल के राजनीतिक करियर के बाद जो बिडेन अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं
- जो बाइडन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रह चुके हैं
- वह भारत-अमेरिका को स्वाभाविक साझेदार मानते हैं और आपसी साझेदारी को आवश्यक बताते हैं
नई दिल्ली : अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए इस बार हुआ चुनाव कई मायनों में अलग है। कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में मची तबाही के बीच यह चुनाव हुआ है, जिससे अमेरिका बुरी तरह प्रभावित हुआ है। संक्रमण के 1 करोड़ से अधिक मामलों और 2.42 लाख से अधिक मौतों के साथ अमेरिका जहां कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित देशों की सूची में पहले स्थान पर है, वहीं अर्थव्यवस्था और रोजगार के मुद्दे पर भी दुनिया का सबसे ताकतवर देश कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसी बीच अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए हैं, जिसमें जो बाइडन, डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मुस्तैदी से चुनाव मैदान में डटे नजर आए और अंतत: उन्हें पटखनी देने में सफल रहे।
अमेरिकी चुनाव में ट्रंप के मुकाबले सफल रहे जो बिडेनका पूरा नाम जोसेफ रॉबिनेट बिडेनजूनियर है। उनका जन्म नवंबर, 1942 में पेन्सिलवेनिया के स्क्रैंटन में हुआ था, जब भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आजादी को लेकर स्वतंत्रता संघर्ष चरम पर था और कांग्रेस की अगुवाई में 'भारत छोड़ो' आंदोलन शुरू किया गया था। वह सिर्फ 10 साल के थे, जब उनका परिवार पेन्सिलवेनिया से डेलावेयर शिफ्ट हो गया। उन्होंने डेलावेयर यूनिवर्सिटी से इतिहास व राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया, जहां उनकी मुलाकात नेलिया हंटर से हुई थी। बाद में उन्होंने 1968 में सिरैक्यूज यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की, जहां नेलिया हंटर भी उनके साथ थीं।
कई झटकों से गुजरा है बिडेन का निजी जीवन
बिडेन ने 1966 में नेलिया से शादी की, जिनसे उनके तीन बच्चे-दो बेटे व एक बेटी हुए। डेलावयर में वह अटॉर्नी के तौर पर काम कर रहे थे, जब उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ने का फैसला किया। वर्ष 1970 में वह न्यू कैसल काउंटी से पार्षद चुने गए, जिसके बाद से अब राष्ट्रपति चुने जाने तक उन्होंने 50 साल इंतजार किया। वह बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए 2008 और 2016 में दो बार उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए। बिडेनने 78 साल की उम्र में राष्ट्रपति चुनाव जीता है और उम्र के लिहाज से देखा जाए तो वह अमेरिका में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए शपथ-ग्रहण 20 जनवरी, 2021 को होगा।
राजनीतिक जीवन में लंबा सफर तय करने वाले बिडेनका निजी जीवन कई झटकों से गुजरा है। शादी के छह साल बाद ही एक सड़क दुर्घटना में उनकी पत्नी नेलिया और एक साल की बेटी नाओमी की मौत हो गई, जबकि बेटे ब्यू और हंटर बुरी तरह घायल हो गए। पांच साल तक उन्होंने अपनी बहन वैलरी और उनके परिवार की मदद से सिंगल फादर के तौर पर दोनों बेटों की परवरिश की थी। नेलिया के निधन के पांच साल बाद 1977 में उन्होंने जिल से शादी की, जिनसे उनकी एक बेटी एश्ली हुई। बड़े बेटे ब्यू राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय थे, लेकिन 2015 में 46 साल की उम्र में ब्रेन कैंसर से उनका भी निधन हो गया, जिसने बिडेन को तोड़कर रख दिया।
राष्ट्रपति चुनाव में तीसरी बार में मिली सफलता
डेलावेयर से छह बार सीनेटर रह चुके बिडेनराष्ट्रपति चुनाव की रेस में भले ही पहली बार सफल हुए हैं, लेकिन वह तीन बार इसके लिए किस्मत आजमा चुके हैं। ऐसी कोशिश उन्होंने सबसे पहले 1988 के चुनाव में की थी, लेकिन तब उन पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगा और उन्हें पीछे हटना पड़ा। 2008 में भी उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में किस्मत आजमाने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। 78 साल की उम्र में अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनने जा रहे जो बिडेन अमेरिकी इतिहास में पांचवे सबसे कम उम्र के सीनेटर रह चुके हैं। डेलावेयर के सीनेटर तौर पर उन्होंने लंबे समय तक सेवा दी।
जो बिडेन को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का करीबी माना जाना है, जिनके दो कार्यकाल में वह उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भी ओबामा ने बिडेनके लिए प्रचार किया। उनकी नीतियों में भी बराक ओबामा प्रशासन की नीतियों की झलक दिखती है। हेल्थ केयर से जुड़े ढांचे का विस्तार, शिक्षा में ज्यादा निवेश और सहयोगी देशों के साथ संबंधों को नई दिशा देना उनकी तीन बड़ी प्राथिमकताएं हैं। साथ ही उनके निजी जीवन की त्रासदी का असर पर भी उनकी नीतियों और सोच पर पड़ा। राष्ट्रपति चुनाव अभियान में भी स्वास्थ्य योजनाओं को प्राथमिकता देने और इसे अपना चुनावी एजेंडा बनाने के उनके उनके फैसले को इसी से जोड़कर देखा जाता है।
भारत को लेकर रुख
बिडेनने बीते जुलाई माह में एक फंडरेजर कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। वहीं भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं तो भारत के सामने मौजूद खतरों से निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे। भारत और अमेरिका के बीच 15 साल पहले हुए असैन्य परमाणु करार को कांग्रेस से मंजूरी दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है। एक मौके पर उन्होंने कहा था कि अगर भारत और अमेरिका करीबी दोस्त और सहयोगी बनते हैं, तो दुनिया ज्यादा सुरक्षित हो जाएगी। उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर मिलकर काम करने की बात भी कही।
बिडेन के करीबियों में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक बड़ी संख्या में हैं। एक बार यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अमेरिका की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा था, 'यह साझेदारी, एक रणनीतिक साझेदारी है, हमारी सुरक्षा में आवश्यक और महत्वपूर्ण है।'
विवादों से रहा है नाता
बिडेन पर ब्रिटिश लेबर पार्टी के नील किन्नॉक के भाषण की साहित्यिक चोरी का आरोप लग चुका है। वर्ष 2007 में उन्होंने ने दावा किया था कि उन्हें इराक के ग्रीन जोन में गोली लगी थी, पर बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा था कि वह उस जगह के पास थे जहां गोली चली थी। उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप भी लग चुका है। बिडेनके सीनेट ऑफिस में काम करने वाली एक महिला ने यह शिकायत दर्ज कराई थी और 1993 में यौन उत्पीड़न की घटना का जिक्र किया था। इसके अतिरिक्त बिडेन के बेटे हंटर कारोबारी और लॉबिस्ट हैं, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। चीन सहित दुनिया के कई देशों में उनका निवेश है, जिसे लेकर रिपलब्लिकन पार्टी और खासकर डोनाल्ड ट्रंप उन्हें निशाना बनाते रहे हैं।