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म्यांमार में क्यों हुआ तख्तापलट? क्या सेना को था इस बात का डर 

Updated Feb 02, 2021 | 07:05 IST

विशेषज्ञों का मानना है कि देश की सत्ता में सेना की पकड़ कमजोर पड़ गई है। कई दशकों तक देश की सत्ता की बागडोर संभालने वाली सेना खुद को हाशिए पर जाती हुई महसूस कर रही है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
म्यांमार में क्यों हुआ तख्तापलट?
मुख्य बातें
  • सोमवार को सेना ने म्यांमार में तख्तापलट कर कई बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया है
  • म्यांमार में तख्तापलट की घटना पर भारत, अमेरिका सहित अन्य देशों की करीबी नजर
  • सेना का कहना है कि देश में एक साल तक आपातकाल लागू रहेगा, चुनाव में धांधली की होगी जांच

नई दिल्ली : म्यांमार में सेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए वहां तख्तापलट कर दिया और आंग सान सू की सहित कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया। पड़ोसी देश में हुए इस घटनाक्रम पर भारत की करीबी नजर है। भारत की तरफ से इस घटनाक्रम पर 'गंभीर चिंता' जाहिर की गई है। भारत के अलावा अमेरिका और दुनया के अन्य देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, साल 2011 में सेना ने देश में लोकतंत्र का रास्ता बनाया और करीब पांच दशकों से चले आ रहे सैन्य शासन का अंत हुआ। अब सवाल उठ रहे हैं कि म्यांमार में आखिरकार तख्तापलट क्यों हुआ? इसके पीछे कई बातें कहीं जा रही हैं लेकिन अभी इसके पीछे असली वजह सामने आई है। 

सेना की पकड़ हुई कमजोर!
विशेषज्ञों का मानना है कि देश की सत्ता में सेना की पकड़ कमजोर पड़ गई है। कई दशकों तक देश की सत्ता की बागडोर संभालने वाली सेना खुद को हाशिए पर जाती हुई महसूस कर रही है। यही नहीं गत नवंबर में हुए चुनावों में स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली। यह जीत एनएलडी को तब मिली जब उस पर रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार करने के आरोप लगे। म्यांमार के संविधान में ऐसी व्यवस्था की गई है कि संसद की 25 प्रतिशत सीटें सेना के लिए आरक्षित होंगी और रक्षा, विदेश और सीमा से जुड़े अहम मसले सेना के पास रहेंगे। चर्चा यह भी है कि सेना को आशंका थी कि सरकार संविधान में संशोधन कर उसके अधिकारों को कम कर सकती है। बता दें कि सोमवार से एनएलडी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करना था लेकिन इसके ठीक पहले तख्तापलट हो गया।

एक साल के लिए आपातकाल : म्यांमार सेना 
देश में तख्तापलट करने एवं नेताओं को हिरासत में लिए जाने की अपनी कार्रवाई को म्यांमार की सेना ने बचाव किया है। सेना का कहना है कि चुनाव में हुए धांधली के आरोपों की वह जांच करेगी। बता दें कि इस चुनाव में एनएलडी को संसद के दोनों सदनों की 83 प्रतिशत सीटों पर जीत मिली जबकि सेना समर्थित दल यूनियन सॉलिडरिटी एवं डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) को मात्र 33 सीटें मिलीं। सेना ने कहा है कि देश में आपातकाल एक साल के लिए लागू रहेगा।
 
घटनाक्रम पर भारत की करीबी नजर
म्यांमार का ताजा घटनाक्रम भारत के हितों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला है। सोमवार के तख्तापलट पर भारत की करीबी नजर है। विदेश मंत्रालय की तरफ से सैन्य तख्तापलट पर गंभीर एवं सधी हुई प्रतिक्रिया जाहिर की गई है। विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि वह म्यांमार के ताजा घटनाक्रम पर करीबी से नजर रख रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमने म्यांमार के घटनाक्रम को देखा है। इस घटनाक्रम पर हम गंभीर रूप से चिंतित हैं। भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक हस्तांतरण प्रक्रिया का हमेशा समर्थक रहा है। हमें उम्मीद है कि देश में कानून के शासन एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शीघ्र बहाली होगी।'

कार्रवाई करने के मूड में अमेरिका
म्यांमार में सेना के तख्तापलट करने और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के कदम से चिंतित अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाये हुए है। साथ ही अमेरिका ने चेताया है कि अगर देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाए गए तो वह कार्रवाई करेगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘बर्मा की सेना ने देश में सत्ता के लोकतांत्रिक हस्तांतरण को कमतर करने के कदम उठाए हैं। इन खबरों से अमेरिका चिंतित है। यहां तक कि स्टेट काउंसर आंग सान सू ची एवं अन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।’