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पंजशीर के लड़ाको ने तालिबान का दिया बड़ा झटका, 350 से अधिक तालिबान आतंकियों को मार गिराया, 40 बनाए बंधक

Updated Sep 01, 2021 | 15:54 IST

Panjshir: अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। लड़ाई में तालिबान के 350 से अधिक लड़ाके मारे गए हैं, जबकि 40 से अधिक बंधक बना लिए गए हैं।

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नई दिल्ली: अफगानिस्तान के पंजशीर से बड़ी खबर आ रही है। पंजशीर में विरोधी लड़ाकों ने तालिबान के आतंकियों को बड़ा झटका दिया है। आजादी के लिए लड़ रहे लड़ाकों ने 350 से अधिक तालिबान आतंकियों को मार गिराया है जबकि 40 से अधिक को बंधक बना लिया है। पंजशीर लगातार तालिबान का विरोध कर रहा है और तालिबान की तरफ से पंजशीर पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। पिछले कई दिनों से पंजशीर में लड़ाई चल रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक खवाक और गुलबहार के अलावा जबुलसराज जिलों में भी तालिबान को कड़ी टक्कर मिल रही है।

इस बीच तालिबान नेता अमिर खान मुत्ताकी ने एक ऑडियो संदेश में कहा है कि पंजशीर के मुद्दे पर बातचीत फेल हो गई है। पंजशीर के लोगों को भेजे संदेश में आमिर खान मुत्ताकी ने कहा है कि पंजशीर के लोग पंजशीर के नेताओं को समझाएं। 

टोलो न्यूज प्रस्तोता मुस्लिम शिरजाद ने एक ट्वीट में कहा कि पंजशीर में तालिबान विरोधी प्रतिरोध बलों ने कथित तौर पर तालिबान लड़ाकों को मारा क्योंकि उन्होंने गुलबहार के माध्यम से घाटी में प्रवेश करने की कोशिश की थी। तालिबान ने कंटेनर के जरिए मुख्य सड़क को जाम कर दिया है। झड़पें हो रही हैं।

पंजशीर घाटी को छोड़कर तालिबान का नियंत्रण पूरे अफगानिस्तान पर हो गया है। इस घाटी में उसे भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। यहां नार्दन अलायंस उसे कड़ी टक्कर दे रहा है। आने वाले दिनों में पंजशीर घाटी को लेकर संघर्ष और तेज हो सकता है। सोमवार को अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलते ही तालिबान ने पंजशीर घाटी पर हमला बोला। शुरुआती मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि यहां पर हुए संघर्ष में तालिबान के आठ लड़ाकों की मौत हुई। 

काबुल से 150 किलोमीटर दूर है पंजशीर घाटी 

राजधानी काबुल से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित पंजशीर घाटी में ही अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और कई नेता शरण लिए हुए हैं। पंजशीर को 'पंजशेर' भी कहा जाता है जिसका मतलब है 'पांच शेरों की घाटी'। यह इलाका नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ है। पंजशीर घाटी के रास्ते काफी घुमावदार हैं। इसकी घाटियां बचाव के रूप में काम करती हैं। 70-80 के दशक में सोवियत रूस ने पंजशीर पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन वह भी असफल रहा।