नई दिल्ली : एक जमाने में देश के अंदर साइकिल का पर्याय मानी जाने वाली ‘एटलस साइकिल’ ने दिल्ली से सटे साहिबाबाद में अपनी आखिरी विनिर्माण इकाई भी बंद कर दी। कंपनी ने अपनी यह इकाई तीन जून को बंद की जो संयोगवश विश्व साइकिल दिवस होता है। कंपनी ने कहा है कि उसके पास कारखाना चलाने के लिए फंड नहीं है। उसने अपने बचे हुए 431 कर्मचारियों को भी निकाल दिया है। हालांकि कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन.पी. सिंह राणा का कहना है कि कारखाने को अस्थायी तौर पर बंद किया गया है। उसके पास बिना उपयोग का एक भूखंड पड़ा है। इसे बेचकर कंपनी करीब 50 करोड़ रुपए जुटाने के बाद कारखाने को दोबारा शुरू करेगी। राणा ने जोर देकर कहा कि निकाले गए कर्मचारी कंपनी के स्थायी कर्मचारी हैं। कंपनी उनकी दैनिक हाजिरी के आधार पर उन्हें निलंबन के दौरान मिलने वाला वेतन देगी। हालांकि कंपनी ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन की पुष्टि नहीं की है।
आम तौर पर निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 50 प्रतिशत और महंगाई भत्ता मिलता है। कंपनी का साहिबाबाद प्लांट देश के सबसे बड़े साइकिल विनिर्माण प्लांट में से एक था। इसमें 1989 में उत्पादन शुरू हुआ था। इसकी क्षमता दो लाख से अधिक साइकिल मासिक की है।
यद्यपि कंपनी के कर्मचारियों का दावा है कि कारखाने को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिया गया।
बुधवार को कारखाने के गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया गया कि कंपनी पिछले कई सालों से फंड की कमी से जूझ रही है। अब उसके पास कारखाने को चालू रखने के लिए कोई पैसा नहीं बचा है। इसलिए अब हमें प्रतिदिन के परिचालन में दिक्कत आ रही है। हम कच्चा माल खरीदने में भी असमर्थ हैं। इस परिस्थिति में प्रबंधन कारखाने को चालू रखने की स्थिति में नहीं है।हालांकि, कर्मचारियों से छुट्टियों को छोड़कर हाजिरी भरने के लिए कहा गया है।
घाटे के चलते कंपनी ने दिसंबर 2014 में अपना पहला प्लांट मालनपुर में बंद कर दिया था। बाद में घाटा बढ़ने के साथ ही फरवरी 2018 में कंपनी ने अपने हरियाणा के सोनीपत प्लांट को भी बंद कर दिया।
कंपनी का सोनीपत प्लांट 1951 में स्थापित पहला कारखाना था। इसकी स्थापना जानकीदास कपूर ने की थी। जल्द ही यह देश की सबसे बड़ी साइकिल विनिर्माता बन गई। एटलस साइकिल वर्ष 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों के लिए साइकिल की आपूर्ति करने वाली आधिकारिक कंपनी थी।