Ford भारत में बंद करेगी अपनी फैक्ट्री, 4000 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा

अमेरिका की प्रमुख वाहन कंपनी फोर्ड ने भारत में अपने दोनों फैक्ट्री बंद करने का ऐलान किया। अब सिर्फ इंपोर्टेड वाहन ही बेचेगी।

Ford will close its factory in India, will only sell imported vehicles
फोर्ड फिगो कार  |  तस्वीर साभार: Twitter

नयी दिल्ली : अमेरिका की प्रमुख वाहन कंपनी फोर्ड मोटर पुनर्गठन के प्रयासों के तहत भारत में अपने दो विनिर्माण संयंत्र बंद करेगी और देश में केवल आयातित वाहनों की बिक्री करेगी। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। कंपनी, जिसने अपने चेन्नई (तमिलनाडु) और साणंद (गुजरात) संयंत्रों में करीब 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है, इन संयंत्रों से उत्पादित इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी। आगे चलकर यह देश में केवल मस्टैंग जैसे आयातित वाहनों की ही बिक्री करेगी।

FADA के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा कि ऑटो रिटेल बिरादरी वास्तव में एक और यूएस ऑटो मेजर, फोर्ड इंडिया की घोषणा को सुनकर स्तब्ध है, जहां उसने कहा है कि वह तत्काल प्रभाव से उत्पादन बंद कर देगी। डीलर की चिंता को संभालने की कोशिश करते हुए, फोर्ड इंडिया के अध्यक्ष और एमडी, श्री अनुराग मेहरोत्रा ​​ने मुझे व्यक्तिगत रूप से बुलाया और आश्वासन दिया कि वे उन डीलरों को पर्याप्त मुआवजा देंगे जो ग्राहकों को वाहन सेवा की पेशकश जारी रखते हैं। हालांकि यह एक अच्छी शुरुआत है, यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि 170 डीलर हैं जिनके पास 391 आउटलेट हैं और उन्होंने अपनी डीलरशिप स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जबकि फोर्ड इंडिया 4,000 लोगों को रोजगार देता है, डीलरशिप लगभग 40,000 लोगों को उनके घर के स्थानों से विस्थापित किए बिना रोजगार देता है।

फोर्ड इंडिया डीलर्स के पास वर्तमान में 1,000 वाहन हैं, जिनकी कीमत प्रतिष्ठित भारतीय बैंकों से इन्वेंट्री फंडिंग के माध्यम से 150 करोड़ रुपए है। वे डेमो वाहन भी ले जाते हैं जिनकी संख्या 100 है। इसके अलावा, फोर्ड इंडिया ने भी 5 महीने पहले तक कई डीलरों को नियुक्त किया था। ऐसे डीलर्स को अपने पूरे जीवन में सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान होगा!

मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि यह पुनर्गठन का फैसला है। कंपनी सिर्फ आयातित वाहनों की ओर रुख करेगी।' जल्द ही कंपनी की ओर से इस बारे में औपचारिक घोषणा किए जाने की उम्मीद है। फोर्ड भारत के वाहन बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रही है। फोर्ड इंडिया के पास सालाना 6,10,000 इंजन और 4,40,000 वाहनों की स्थापित विनिर्माण क्षमता है। कंपनी ने फिगो, एस्पायर और इकोस्पोर्ट जैसे अपने मॉडलों को दुनिया भर के 70 से अधिक बाजारों में निर्यात किया है।

इस साल जनवरी में फोर्ड मोटर कंपनी और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने पूर्व में घोषित वाहन संयुक्त उद्यम को समाप्त करने और भारत में स्वतंत्र परिचालन जारी रखने का फैसला किया था। अक्टूबर 2019 में दोनों कंपनियों ने एक समझौते की घोषणा की थी, जिसके तहत महिंद्रा एंड महिंद्रा फोर्ड मोटर कंपनी (एफएमसी) की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई में बहुलांश हिस्सेदारी हासिल करेगी, जो भारत में अमेरिकी वाहन कंपनी के कारोबार को संभालेगी। नई इकाई को बाजार का विकास करना था और भारत में फोर्ड ब्रांड के वाहनों को वितरित करना था, साथ ही उच्च विकास वाले उभरते बाजारों में महिंद्रा और फोर्ड दोनों की कारों की बिक्री करनी थी।

समझौते के तहत एमएंडएम को अमेरिकी वाहन कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई अर्दोर ऑटोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड में लगभग 657 करोड़ रुपए में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करना था जो वर्तमान में फोर्ड मोटर कंपनी इंक, अमेरिका की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। अर्दोर में शेष 49 प्रतिशत इक्विटी शेयरधारिता एफएमसी या उसके किसी सहयोगी के पास होनी थी। जनरल मोटर्स के बाद भारत में कारखाना बंद करने वाली फोर्ड दूसरी अमेरिकी वाहन कंपनी है।

वर्ष 2017 में जनरल मोटर्स ने घोषणा की कि वह भारत में वाहनों की बिक्री बंद कर देगी क्योंकि दो दशकों से अधिक समय तक संघर्ष करने के बाद भी उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। कंपनी ने गुजरात में अपना हलोल संयंत्र एमजी मोटर्स को बेच दिया, जबकि उसने निर्यात के लिए महाराष्ट्र में अपने तालेगांव संयंत्र को चलाना जारी रखा था, लेकिन पिछले दिसंबर में वहां भी उत्पादन बंद कर दिया। 

(भाषा इनपुट के साथ)

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