क्या होता है क्रैश टेस्ट, जानें कार खरीदते समय 0 से लेकर 5 स्टार रेटिंग का मतलब

What is Crash Test: ग्लोबल NCAP की तरफ से कार कंपनियों द्वारा कारों का क्रैश टेस्ट किया जाता है। जिसमें सुरक्षा के आधार पर कार को 0-5 स्टार तक रेटिंग दी जाती है।

car crash test
कैसे होता है कार क्रैश टेस्ट,फोटो साभार: ग्लोबल NCAP 
मुख्य बातें
  • क्रैश टेस्ट में सबसे पहले ये देखा जाता है कि दुर्घटना होने पर गाड़ी के एयरबैग खुलते हैं कि नहीं।
  • कार की रेटिंग उसकी सेफ्टी फीचर्स को देखते हुए दी जाती है।
  • टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री लग्जरी कार कंपनी मर्सिडीज बेंज की एसयूवी GLC 220 में सवार थे।

What is Crash Test: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री बीते रविवार को एक सड़क हादसे  का शिकार हो गए। हादसे के दौरान वह कार में पीछे बैठे थे और उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। यह गलती उनके जान पर भारी पड़ गई। मिस्त्री जिस कार में सवार थे, वह जर्मन लग्जरी कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज बेंज की एसयूवी GLC 220 कार थी। जो कि अहमदाबाद-मुंबई हाईवे पर रोड डिवाइडर से टकरा गई थी। इस हादसे के बाद मर्सिडीज की कार की सेफ्टी पर भी सवाल उठ रहे है। सबसे अहम बात है कि इस कार को यूरो NACP से 5 स्टार रेटिंग मिली हुई थी। किसी कार की रेटिंग उसकी सेफ्टी फीचर्स को देखते हुए दी जाती है, और उसके निर्धारण का तरीका क्रैश टेस्ट (Crash Test)होता है। 

क्या होता है क्रैश टेस्ट (Crash Test)

ग्लोबल NCAP(न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) की तरफ से कार कंपनियों द्वारा कारों का क्रैश टेस्ट किया जाता है। कार के मॉडल और वैरिएंट के आधार पर अलग-अलग तरह के सेफ्टी फीचर्स होते हैं। जिसमें एयरबैग्स, ABS,कैमरा, स्पीड अलर्ट, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर आदि शामिल होते हैं। क्रैश टेस्ट से यह तय होता है कि जब कार का एक्सिडेंट होगा तो अंदर बैठे शख्स की जान बचेगी या नहीं और उसे कितना नुकसान होगा। इसके लिए कार को एक तय स्पीड में टक्कर मारी जाती है। और उसमें इंसान के डमी को बैठाया जाता है। जो कि व्यस्क और बच्चे के डमी के आधार पर टेस्ट किए जाते हैं। और कार कितनी सुरक्षित है, उसके आधार पर स्टार रेटिंग दी जाती है।

इस आधार पर तय होती है रेटिंग

क्रैश टेस्ट में सबसे पहले ये देखा जाता है कि दुर्घटना होने पर गाड़ी के एयरबैग खुलते हैं या नहीं।इसके अलावा यह चेक किया जाता है कि जो इंसान की डमी अंदर बैठी है, उन्हें कितना नुकसान पहुंचा है। इसके जरिए यह पता चलता है कि कार कंपनी के दावे कितने सही हैं। और टेस्टिंग से मिले रिजल्ट के आधार पर फिर कार को जीरो से लेकर 5 स्टार तक रेटिंग दी जाती है। जिसका फायदा ग्राहक कार खरीदते समय उठा सकता है। क्योंकि उसे रेटिंग से यह पता चल जाता है कि जिस कार को वह खरीदना चाहता है वह कितनी सुरक्षित है।

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