Akshara Singh Sad Story: प्यार में वफा के बदले बेवफाई मिले तो इंसान अंदर से टूट जाता है। आम इंसान हो या मशहूर सेलेब्रिटी प्यार में धोखा किसी को भी मिल सकता है। चकाचौंध वाले ग्लैमरस जगत के रिश्ते ऊपर से जितने खूबसूरत दिखते हैं, अंदर से उतने ही खोखले और नाजुक होते हैं। प्रेमी या प्रेमिका से ब्रेकअप के बाद बहुत से लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह के साथ।
भोजपुरी पावरस्टार पवन सिंह और अक्षरा सिंह के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गई थी। लेकिन प्यार में धोखा मिलने के बाद अक्षरा पूरी तरह टूट गई। बड़ी मुश्किल से उन्होंने खुद को संभाला और करियर में आगे बढ़ी। आज अक्षरा भोजपुरी इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस हैं। इस घटना के बाद अक्षरा में काफी बदलाव भी आया। कमजोर और नाजुक दिल वाली अक्षरा इतनी मजबूत हो गई अब उनका रौद्र रूप देख उन्हें शेरनी कहा जाता है। लेकिन ये सब हुआ अक्षरा के पिता बिपिन सिंह की वजह से।
अक्षरा इंटरव्यू में अपनी पर्नल लाइफ को लेकर कई खुलासे कर चुकी है। इसमें एक्ट्रेस ने बताया कि एक समय ऐसा था कि ब्रेकअप के बाद वह डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। लेकिन पिता ने ऐसी बात कही जो सीधे उनके दिल में लगी और वह रास्ते पर लौट आई। बता दें कि अक्षरा सिंह ने पवन सिंह पर मारपीट और उनका करियर बर्बाद कर देने के आरोप लगाए थे। इंटरव्यू में अक्षरा ने पवन सिंह से हुए ब्रेकअप के बारे में सब कुछ बताया।
अक्षरा सिंह ने कहा कि, जिस समय मैं डिप्रेशन के दौर से गुजर रही थी। उस वक्त ऐसा लग रहा था कि नॉर्मल लाइफ में वापस लौटने के सारे रास्ते अब बंद हो चुके हैं। मेरे पास सुसाइड करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। क्योंकि मैं पूरी तरह टूट चुकी थी। लेकिन उस वक्त मेरे पिता की बातें मेरे लिए मददगार साबित हुई।
अक्षरा कहती हैं, मेरे पिता ने मुझे बुलाया और मुझसे पूछा कि तुम्हें किस बात का डर है और तुम क्या करना चाहती हो? अक्षरा ने कहा कि, वो कुछ नहीं करना चाहती। इस पर उनके पिता बोले, 'तुम्हारा बाप बनकर कह रहा हूं जाओ, फांसी लगा लो और मर जाओ। आत्महत्या करो अभी या फिर लड़ो। तुम्हारे पास दो रास्ते हैं जो करना है करो। मैं एक बाप होने के नाते संतुष्ट हो जाऊंगा कि मेरी बेटी को मरना था और वो मर गई।
अब इसे पिता की नसीहत कहें या डांट लेकिन अक्षरा के लिए ये नए जीवन से कम नहीं था। पिता की इस बात ने अक्षरा को जीने की नई उम्मीद दी। इसलिए ठीक ही कहा जाता है। माता-पिता अपने बच्चों के सबसे अच्छे मार्गदर्शक होते हैं।