इस गीतकार ने की थी हिंदी फिल्मों में भोजपुरी गानों की शुरुआत, लिखे थे नदिया के पार के गाने

भोजपुरी गाना
Updated Aug 01, 2019 | 23:19 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हिंदी फिल्म में भोजपुरी गाने आज से करीब 71 साल पहले ही आ गए थे। अब जब सिद्धार्थ मल्होत्रा की जबरिया जोड़ी में भोजपुरी गाना ‘जिला हिलेला’ रीक्रिएटेड रूप में आया है तब ओरिजिनली ही लिखा गया था। 

Nadiyan Ke Paar
Nadiyan Ke Paar 

मुंबई. बॉलीवुड फिल्में अपने गानों की वजह से भी चलती हैं ये बात हर कोई जानता है। यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि हिंदी फिल्म में भोजपुरी गाने आज से करीब 71 साल पहले ही आ गए थे। अब जब सिद्धार्थ मल्होत्रा की जबरिया जोड़ी में भोजपुरी गाना ‘जिला हिलेला’ रीक्रिएटेड रूप में आया है तब ओरिजिनली ही लिखा गया था। 

फिल्म थी 'नदिया के पार' और गाने लिखे थे मोती बीए ने। इस फिल्म के सारे गाने तब खासा मशहूर हुए थे। आज मोती बीए का जन्मदिन है। मोती बीए मुम्बई में तब प्रसिद्ध गीतकार हुआ करते थे और उनके लिखे गाने शमशाद बेगम, रविन्द्र जैन, मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और महेंद्र कपूर ने गाये। 

मोती ने 1942 से 1952 के बीच लगभग 80 फिल्मों में गाने लिखे। उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्मों में भी गाने लिखे और वह भी भोजपुरी में। मोती जी ने बाकी फिल्मों में गाने हिंदी में लिखे। मोती बीए ने 1946 में एक भोजपुरी गीत लिखा 'काटे मोरा दिनवा गवनवा कब होई'।

ऐसे मिली नदिया के पार 
मोती बीए ने प्रख्यात अभिनेता अशोक कुमार और फिल्मिस्तान के प्रोडक्शन संचालक शशिधर मुखर्जी को गाना सुनाया। उन्हें यह गीत इतना भाया की मोती जी को फिल्मिस्तान में नौकरी पर रख लिया। अशोक कुमार की निर्माणाधीन फिल्म 'आठ दिन' में इस गाने के माकूल सिचुएशन नहीं होने की वजह से इसको दूसरी फिल्म 'एक कदम' में फिल्माए जाने की बात हुई। 

फिल्म की एक्ट्रेस दमयंती साहनी की इंग्लैंड में अचानक मृत्यु की वजह से फिल्म पूरी नहीं हो पाई। इसके बाद 1947 में किशोर साहू ने एक फिल्म बनाने की सोची और उसके डायलाग खुद छत्तीसगढ़ी में लिखी। वह फिल्म को ग्रामीण टच देना चाहते थे। इसके आठ गाने मोती बीए ने लिखे और सारे भोजपुरी में थे। यही फ़िल्म थी नदिया के पार। 

1948 में रिलीज हुई फिल्म
फिल्म 1948 में पर्दे पर रिलीज हुई और लोगों ने पहली बार हिंदी फिल्म में भोजपुरी गाने सुने। तबतक भोजपुरी फिल्मों का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ था। फिल्म में दिलीप कुमार और कामिनी कौशल मुख्य भूमिका में थे। इसके सारे गाने तब खूब सुने गए और खासकर भोजपुरी क्षेत्रों में तो अलग ही धूम थी।
 
फिल्म के चर्चित गानों में से एक गाना था, 'मोरे राजा हो ले चला नदिया के पार', यह गाना दिलीप कुमार और कामिनी कौशल पर ही फिल्माया गया था। यह फिल्म मल्लाहों के जीवन की कहानी थी और इसमें वेशभूषा भी वैसा ही था।

उत्तर प्रदेश में हुआ था जन्म
'कठवा के नईया बनइहे रे मलाहवा' जीवन दर्शन के बारे में बात करता है। यह गाना भी खूब चला था।इस फिल्म का शरारत भरा गाना 'दिल लेके भागा' आदिवासी लोक शैली में फिल्माया गया था। यह गाना ललिता देवूलकर ने गाया था। इस गाने में वेशभूषा भी आदिवासियों वाले ही थे और नृत्य शैली भी वैसी ही थी।

मोती बीए का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया के बरजी गांव में 1 अगस्त 1919 को हुआ था। उनका असली नाम मोती उपाध्याय था जो उन्होंने बीएचयू से बीए करने के बाद बदलकर मोती बीए रख लिया था।  मोती जी हिंदी, भोजपुरी, संस्कृत और उर्दू चारों भाषाओं के अच्छे जानकार थे और इन भाषाओं में लिखते थे। 

( लेखक मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा के जानकार हैं)

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