Bhopal Cyber Fraud: साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका निकाला, स्पेलिंग में हेराफेरी कर लगाते हैं लोगों को चूना

Bhopal Cyber Fraud: भोपाल में साइबर ठगों ने स्टेट बैंक के मैनेजर को बेवकूफ बनाकर 25 लाख रुपये अपने खातों मे ट्रांसफर करा लिए। बैंक मैनेजर को साइबर अपराधियों ने जो बैंक अकाउंट नंबर और ईमेल दी उनमें कुछ शब्दों में हेरफेर कर ठगी को अंजाम दिया।

Bhopal Cyber Fraud
साइबर फ्रॉड ने ठगी का नया तरीका खोज निकाला (प्रतीकात्मक तस्वीर) 
मुख्य बातें
  • स्पेलिंग में बदलाव कर साइबर ठगों ने बैंक मैनेजर 25 लाख की ठगी की
  • शहर के नामचीन आदमी के नाम से बैंक मैनेजर को किया गया था फोन
  • साइबर ठग ओ की जगह जीरो लगाकर करते थे ठगी

Bhopal Cyber Fraud: देश में नरेंद्र मोदी सरकार डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने के तमाम प्रयास कर रही है। हालांकि देशभर में डिजिटल की ओर लोगों ने अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं लेकिन डिजिटल के इस दौर में साइबर ठगी के मामलों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। साइबर अपराधी हर रोज नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने की जुगत में रहते हैं। और उनकी गाढ़ी कमाई चट कर जाते हैं।

भोपाल में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। साइबर ठगों ने एक स्टेट बैंक के मैनेजर को ही चूना लगा दिया दरअसल स्टेट  बैंक के मैनेजर दर्शन दानी के साथ जो फ्रॉड का मामला सामने आया है उसमें सिर्फ स्पेलिंग में थोड़ी सी हेर फेर की गई है।

ईमेल में हेरफेर कर की ठगी

स्टेट बैंक के मैनेजर के पास एक ईमेल आई जिसमें तीन बैंक के अकाउंट नंबर लिखे हुए थे और इसके साथ ही उनके पास एक कॉल भी आई। कॉल करने वाले ने बताया कि वह सुराना मोटर्स का मालिक राजेंद्र सुराना बोल रहा है और मैनेजर को 25 लाख 96 हजार रुपये खातों में ट्रांसफर करने के लिए कहा। कहा जाता है कि राजेंद्र सुराना एक जाना माना नाम है जिस कारण मैनेजर ने ज्यादा सवाल ना करते हुए फोन कॉल पर दिए गए बैंक अकाउंट के नंबर पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। मैनेजर ने उन अकाउंट नंबरों पर पैसे ट्रांसफर कर दिए लेकिन जब ट्रांजैक्शन हुई तो राजेंद्र सुराना ने बैंक में फोन किया और इन ट्रांजैक्शन की जानकारी मांगी तो बैंक के मैनेजर के होश उड़ गए। मैनेजर ने जब ईमेल आईडी चेक की तो उसमें दो शब्दों का ही हेर फेर था जिसके कारण बैंक मैनेजर गच्चा खा गया। साइबर ठगों ने राजेंद्र सुराना से मिलती हुई आईडी बनाई थी।

ओ को बनाते हैं जीरो
हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें शब्दों में थोड़ा सा भी हेर फेर करके शॉपिंग वेबसाइट की डुप्लीकेट वेबसाइट बना देते हैं। जहां पर एक लेटर यानी कि o की जगह 0 बना कर नकली वेबसाइट बनाते हैं। इसके बाद कोई भी शख्स ऑनलाइन आर्डर करता है तो वो पहचान नहीं पाता है और आर्डर करने के बाद ऑनलाइन पेमेंट भी कर देता है लेकिन उसके पास खरीद हुआ समान नहीं पहुंचता है। ऐसे मामले अक्सर बड़े-बड़े ब्रांड की वेबसाइट बनाकर उनके जरिये फ्रॉड के कारण आते हैं।

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