Bhopal Health Update: भोपाल एम्स में ब्रेन ट्यूमर सर्जरी होगी गामा नाइफ तकनीक से, केंद्र से मिली हरी झंडी

Bhopal Health Update: एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े एक्सपर्टस का कहना है कि, इस तरह की आधुनिक तकनीक से मरीजों को ऑपरेशन के बाद हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाएगी। बता दें कि, भोपाल एम्स मध्यप्रदेश का पहला और देश में छठे नबंर का सरकारी हेल्थ इंस्टीट्यूट होगा जहां इस एडवांस तकनीक की शुरूआत होगी। 

Bhopal AIIMS
एम्स भोपाल में लगेगी 85 करोड़ की गामा नाइफ तकनीक मशीन  |  तस्वीर साभार: Facebook
मुख्य बातें
  • सर्जरी के बाद इंफेक्शन रेडिएशन का खतरा घट कर 0.01 परसेंट ही रह जाएगा
  • आधुनिक तकनीक से मरीजों को ऑपरेशन के बाद हॉस्पिटल से जल्दी मिलेगी छुट्टी
  • मध्यप्रदेश का पहला और देश में छठवें नबंर का एडवांस तकनीक वाला सरकारी हेल्थ इंस्टीट्यूट होगा

Bhopal Health Update : राजधानी के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है, अगर सब कुछ ठीक रहा तो आगामी माह में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दिमाग के कैंसर सहित ब्रेन ट्यूमर के रोगियों के ऑपरेशन गामा नाइफ के जरिए किए जाएंगे। इसके लिए बाकायदा सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से स्वीकृति दी गई है। इसे लेकर एम्स की ओर से बताया गया है कि, राजधानी में इस तकनीक की शुरूआत होने के कारण ब्रेन ट्यूमर के रोगियों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा व महीनों तक होने वाले दर्द से भी निजात मिलेगी।

एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े एक्सपर्टस का कहना है कि, इस तरह की आधुनिक तकनीक से मरीजों को ऑपरेशन के बाद हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाएगी। यहां आपको बता दें कि, राजधानी का एम्स मध्यप्रदेश का पहला और देश में छठवें नबंर का सरकारी हेल्थ इंस्टीट्यूट होगा जहां इस एडवांस तकनीक की शुरूआत होगी। 

मशीन खरीद पर करीब 85 करोड़ होंगे खर्च

आधुनिक तकनीक शुरू करने को लेकर एम्स की ओर से किए गए दावे के मुताबिक, गामा नाइफ मशीन की खरीद पर करीब 85 करोड़ खर्च होंगे। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। कैंसर चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि, गामा नाइफ तकनीक से सर्जरी करने के बाद मरीजों में इंफेक्शन रेडियेशन का खतरा घट कर महज 0.01 परसेंट ही शेष रह जाता है। इस तकनीक की एक खास बात ये भी है कि, इसमें दिमाग की खून ले जाने वाली धमनियों का बिना टच किए विशेषज्ञ सीधे ट्यूमर को नष्ट करेंगे। जिसके चलते रोगी के ब्रेन में स्वेलिंग नहीं होगी और ना ही कोई इंजरी आएगी। वहीं रोगी को ब्रेन हेमरेज होने का खतरा भी टल जाएगा। 

कोविड की वजह से प्रोजेक्ट में हुई देरी

अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान के अध्यक्ष डा. वायके गुप्ता ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट का प्रपोजल वर्ष 2019 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया था। मगर इस बीच कोविड 19 का संकट आने से इस प्रोजेक्ट में देरी हो गई। अब इसे मंजूरी मिली है, लेकिन कुछ औपचारिकताएं शेष हैं। इसके बाद यह मशीन एम्स में आ जाएगी। उन्होंने बताया कि, यह मशीन लगने के बाद इसका सीधा लाभ मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ व अन्य राज्य के लोगों को मिलेगा। 


 

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