Bhopal News: अब विकास कार्य के लिए मिलेगा जीआईसी आधारित परमिशन, पुराने आवेदकों के लिए 15 मार्च डेडलाइन

Bhopal Development News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित 34 शहरों में विभिन्न विकास कार्यों के लिए अनुमति अब जीआईसी पर आधारित होगी। इससे एक तो समय की बचत होगा वहीं टीएंडसीपी के पैनल पर ऑनलाइन नक्शा अपलोड हो जाएगा और वहां की सैटेलाइट इमेज भी आएगी।

Now permission for development works will be based on GIC
विकास कार्यों की परमिशन अब होगी जीआईसी आधारित, पुराने आवेदकों के लिए 15 मार्च डेडलाइन  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने शुरू किया यह पायलट प्रोजेक्ट
  • टीएंडसीपी के पैनल पर ऑनलाइन नक्शा अपलोड होते ही आ जायेगा सैटेलाइट इमेज
  • नई व्यवस्था फिलहाल प्रदेश के 11 शहरों में शुरू हो रही है

Bhopal Development News: टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने भोपाल में एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है जिसके तहत अब राजधानी सहित प्रदेश के 34 शहरों में कॉलोनी निर्माण, पेट्रोल पंप और वेयरहाउस समेत सभी प्रकार के विकास कार्य हेतु जीआईएस बेस्ड परमिशन ही जारी होंगी। इस योजना को लेकर पुराने आवेदकों को मिली डेडलाइन में पुराने आवेदन समय से न निपटाने पर उन्हें पुनः ऑनलाइन करना होगा। हालांकि नए सिस्टम के तहत अनुमति में कम समय लगेगा। टीएंडसीपी ने मैप आईटी के साथ ऑटोमेटिक लेआउट प्रोसेस अप्रूवल एंड स्क्रूटनी सिस्टम फेज टू की शुरुआत की है। इसमें जिस जमीन पर विकास अनुमति लेनी है, उसी लोकेशन पर जाकर जीआईएस लोकेशन लेकर लेआउट बनाया जायेगा।

इसके आगे की सभी प्रक्रियाएं फाइल या नोटशीट की शिवाय ऑनलाइन होंगी। सहायक संचालक ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि टीएंडसीपी की वेबसाइट के माध्यम से नए सिस्टम में ऑनलाइन लेआउट सबमिट किया जाता है लेकिन अब यह नक्शा जीआईएस कोऑर्डिनेट्स के साथ सबमिट किया जाएगा। इसके साथ ही टीएंडसीपी के पैनल पर ऑनलाइन नक्शा अपलोड हो जाएगा और वहां की सैटेलाइट इमेज भी आएगी।

सभी प्रक्रिया होंगे ऑनलाइन

सॉफ्टवेयर स्वयं मास्टर प्लान समेत सभी नियमों की जांच कर लेगा। इस दौरान यदि गलती सामने आता है तो लेआउट सबमिट नहीं होगा। सिर्फ इतना ही नहीं इंजीनियर्स को सर्वे करने के लिए मौके पर अपने जीएसआई कोऑर्डिनेट्स बताने होंगे। इसके बाद टीएंडसीपी दफ्तर में कोई फाइल नहीं बनानी पड़ेंगे। सभी अधिकारियों को कमेंट कर ऑनलाइन ही अनुमति जारी करनी होगी।

कम समय में मिल सकेगी अनुमति

इसके माध्यम से अनुमति में होने वाली गड़बड़ियां रुकेंगी। अर्थात् यदि मौके पर सड़क नहीं है या फिर ओपन स्पेस कम रखा तो तत्काल इसकी जानकारी मिल सकेगी। ऑनलाइन सुधार होने से आर्किटेक्ट तत्काल नक्शे में हुई गलतियों को सुधार कर लेंगे। सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से फाइल का मूवमेंट तेज हो जाएगा और विकास परमिशन में लगने वाला 60 दिन का समय अब और कम हो जाएगा। साथ ही उच्च अधिकारी फाइल की हर अपडेट पर नजर रख सकेंगे।

पुराने सॉफ्टवेयर से हुए आवेदनों के लिए 15 मार्च डेडलाइन

जिन लोगों ने पुराने सॉफ्टवेयर के जरिए अनुमति के लिए अप्लाई किया है उनके लिए के टीएंडसीपी ने 15 मार्च तक अप्रूव कराने की अंतिम तारीख बताई है। परेशान आवेदकों के अनुसार वे आर्किटेक्ट से नक्शा व सर्वे कार्य पहले करवा चुके हैं। लेकिन यदि 15 तक अनुमति नहीं मिलता है तो फिर तो नए सिस्टम से आवेदन करना पड़ेगा।

कुछ दिनों तक चले दोनों सिस्टम एक साथ
टाउन प्लानिंग का अनुभव रखने वाले एक्सपर्ट की मानें तो दोनों सिस्टम को कुछ दिन तक साथ में चलने देना चाहिए। इससे नए सिस्टम को ठीक से समझने में आसानी होगी तथा पुराने आवेदकों के लिए भी समस्या उत्पन्न नहीं होगी। सिर्फ इतना ही नहीं इसके लिए आर्किटेक्ट लेवल पर ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

11 शहरों में शुरू हो रही यह व्यवस्था

टीएंडसीपी के कमिश्नर मुकेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि नई व्यवस्था फिलहाल प्रदेश के 11 शहरों में शुरू हो रही है। इससे लोगों को टीएंडसीपी के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और ऑनलाइन होने के चलते व्यवस्था भी पारदर्शी और आसान होगी।

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