Aatma Nirbhar Bharat Yojana: कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू किया था लेकिन इस दौरान लाखों मजदूरों के रोजगार पर असर पड़ा और वे शहर छोड़कर गांव पलायन कर गए। इस स्थिति को देखते हुए मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत की ताकि कोई भी प्रवासी मजदूर भूखा ना रह सके। उन्हें मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाने लगा। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार 30 जून तक 2.13 करोड़ प्रवासी मजदूरों को फ्री अनाज वितरण किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि राज्यों को वितरण के अपने अंतिम आंकड़े 15 जुलाई, 2020 तक जमा करने के लिए कहा गया है। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत लाभार्थियों का अंतिम आंकड़ा 30 जून को बताए गए 2.13 करोड़ के आंकड़े से काफी अधिक हो सकता है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक राज्यों ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत 30 जून तक 2.13 करोड़ प्रवासियों को मुफ्त अनाज वितरित किया है जबकि शुरुआती अनुमान 2.8 करोड़ लोगों के योजना के दायरे में आने का था। खाद्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि वे 15 जुलाई तक अंतिम आंकड़े पेश करें। अंतिम आंकड़े आने के बाद योजना का लाभ लेने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ सकती है। चूंकि देश भर में प्रवासियों, फंसे हुए प्रवासियों की वास्तविक, अनुमानित संख्या पर कोई आंकड़ा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए 8 करोड़ प्रवासी लोग (जो कुल 80 करोड़ एनएफएसए आबादी का 10% भाग है) का एक मोटा अनुमान लगाया गया है।
योजना के तहत मई और जून के लिए प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज और प्रति परिवार हर महीने 1 किलो दाल की आपूर्ति की जानी थी। एक सरकारी बयान के अनुसार खाद्य मंत्रालय ने कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत सभी राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों को करीब 8 लाख टन खाद्यान्न (7 लाख टन चावल और 1 लाख टन गेहूं) की कुल मात्रा आवंटित की थी। बयान में कहा गया कि यह संतोषप्रद है कि जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाया जा सका और यह राहत की बात है कि शुरुआती 8 करोड़ के अनुमान के मुकाबले यह संख्या काफी कम यानी 2.13 करोड़ रही।
मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकारों को वितरण के मामले में पूर्ण स्वतंत्रता दी गई थी और वे उन्हें भी इस अतिरिक्त राशन को वितरित करने के लिए स्वतंत्र थे, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं था। अभी तक वास्तव में, राज्यों ने लगभग 6.4 लाख टन खाद्यान्न का उठाव किया है जो कि 8 लाख टन के शुरुआती आवंटन का 80% है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत, केंद्र ने फैसला किया था कि करीब 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों, संकट में फंसे और जरूरतमंद परिवारों को 8 लाख टन खाद्यान्न प्रदान किया जाएगा, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) या राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली कार्ड योजना (पीडीएस) के अंतर्गत नहीं आते हैं।
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