अल सल्वाडोर आज (09 जून) औपचारिक रूप से बिटकॉइन को कानूनी (legal tender) तौर पर अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। राष्ट्रपति नायब बुकेले ने क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने के प्रस्ताव रखा और कांग्रेस यानी वहां की संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 84 में से 62 वोट प्रस्ताव के पक्ष में पड़े। अधिकांश सांसदों ने एक कानून बनाने की पहल के पक्ष में मतदान किया कि औपचारिक रूप से बिटकॉइन को अपनाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ अल सल्वाडोर के प्रोग्राम पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता के बावजूद ऐसा किया गया।
राष्ट्रपति बुकेले ने विदेशों में रहने वाले सल्वाडोर के लोगों को रिमिटेंस वापस घर भेजने में मदद करने की अपनी क्षमता के लिए बिटकॉइन के उपयोग के बारे में कहा है, जबकि अमेरिकी डॉलर भी लीगल टेंडर के रूप में जारी रहेगा।
'यह हमारे देश के लिए वित्तीय समावेशन, निवेश, पर्यटन, इंनोवेशन और आर्थिक विकास लाएगा' बुकेले ने कांग्रेस में वोट से कुछ समय पहले एक ट्वीट में कहा, जो उनकी पार्टी और सहयोगियों द्वारा नियंत्रित है। उन्होंने कहा कि बिटकॉइन का उपयोग, जिसका उपयोग वैकल्पिक होगा, यूजर्स के लिए रिस्क नहीं लाएगा। लिगल टेंडर के रूप में इसका उपयोग 90 दिनों में कानून में बदल जाएगा। बुकेले ने कहा कि सरकार प्रत्येक लेनदेन के समय डॉलर में सटीक मूल्य की परिवर्तनीयता की गारंटी देगी।
अल सल्वाडोर की डॉलर की अर्थव्यवस्था विदेशों में श्रमिकों से वापस भेजे गए धन पर बहुत अधिक निर्भर करती है। विश्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 में देश में रिमिटेंस करीब 6 बिलियन डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का करीब पांचवां हिस्सा है, जो दुनिया में सबसे अधिक अनुपात में से एक है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि बिटकॉइन को अपनाने से आईएमएफ के साथ बातचीत जटिल हो सकती है, जहां अल सल्वाडोर 1 बिलियन डॉलर (करीब 7,300 करोड़ रुपए) से अधिक के प्रोग्राम की मांग कर रहा है। भारत में 9 जून को दोपहर 1 बजे भारतीय समयनुसार 1 बिटकॉइन की कीमत 24.5 लाख रुपए थी।
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