शुरू होगी सरकारी बैंकों के मर्जर की दूसरी पारी! अस्तित्व में आ सकते हैं SBI जैसे बड़े बैंक

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Jul 14, 2022 | 10:04 IST

Bank Merger: वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सरकारी ऋणदाताओं ने पिछले कुछ सालों में सभी प्रमुख संकेतकों पर बेहतर प्रदर्शन किया है और वित्त वर्ष 22 में अपने मुनाफे को दोगुना कर दिया है।

Centre aiming to start next round of public sector bank mergers
बैंक मर्जर: अस्तित्व में आ सकते हैं SBI जैसे बड़े बैंक  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार जल्द ही सरकारी सेक्टर के बैंकों के विलय (Bank Merger) के अगले दौर की शुरुआत कर सकती है। इसमें 4 से 5 बड़े बैंक होने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस विलय के साथ, केंद्र को देश के सबसे बड़े ऋणदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरह 4 से 5 बड़े और मजबूत बैंक होने के अस्तित्व में आने की उम्मीद है। मौजूदा समय में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के सात बड़े और पांच छोटे बैंक हैं।

हालांकि यह एक व्यापक अध्ययन की जांच के बाद ही किया जाएगा। संबंधित बैंकों को महीने के अंत तक अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने कहा कि, 'हम भविष्य की रणनीति को मजबूत करने से पहले भारतीय बैंक संघ (IBA) और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा।'

तीन साल पहले हुआ था बैंकों का विलय
तीन साल पहले 2019 में, केंद्र सरकार ने 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों के चार बड़े ऋणदाताओं में विलय करने की घोषणा की थी, जिससे सरकारी सेक्टर के बैंकों की संख्या कम होकर 12 हो गई थी। इससे दो साल और पहले यानी 2017 में भारत में 27 राज्य संचालित ऋणदाता थे। विलय अप्रैल 2020 से प्रभावी हो गया था।

SBI को छोड़कर सभी पीएसबी का होना चाहिए निजीकरण: रिपोर्ट
इस बीच, पीएसबी के निजीकरण पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की रिपोर्ट में एसबीआई को छोड़कर सभी पीएसबी के निजीकरण के पक्ष में तर्क दिया गया है। पिछले 10 सालों के दौरान पीएसबी का प्रदर्शन निजी बैंकों के मुकाबले अच्छा नहीं रहा है। एनसीएईआर की निदेशक पूनम गुप्ता और अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'परिचालन लागत बढ़ गई है। इन पीएसबी ने अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में संपत्ति और इक्विटी पर कम रिटर्न प्राप्त किया है।'

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर